Kullar ke किन्नू पर भी कोरोना की मार, बंपर फसल पर भाव कम Fh,, kullar 05 2020. अपने विशिष्ट स्वाद और गुणवत्ता के लिए देश दुनिया में मशहूर Kullar ke किन्नू भी कोरोना के असर से बच नहीं पाया है। बंपर फसल के बीच कम मांग से किन्नू किसानों की पेशानी पर चिंता की लकीरें हैं। विटामिन सी से भरपूर इस फल का इस समय मुख्य सीजन है। इलाके से किन्नू का निर्यात कई देशों को किया जाता है। साथ ही इसे देश के कई इलाकों में भी भेजा जाता है। इस बार भी इसका निर्यात बांग्लादेश, भूटान व कई खाड़ी देशों को हो रहा है, लेकिन कोरोना के चलते परिवहन संबंधी दिक्कतों की वजह से निर्यात की मात्रा बहुत कम है।विटामिन सी की प्रचुर मात्रा🍊🍊🍊Aglicalchr विभाग ke सहायक aazad Kumar ne बताया कि विटामिन सी की प्रचुर मात्रा व अच्छी उपलब्धता के कारण देश दुनिया में किन्नू की अच्छी मांग रहती है लेकिन 'इस बार इलाके में किन्नू की बंपर फसल है पर भाव तुलनात्मक रूप से कम है।' विभाग के अधिकारियों के अनुसार कोरोना व लॉकडाउन जैसे कारणों से उपजी परिवहन संबंधी दिक्कतों के चलते भाव नीचे हैं।रूस से लेकर न्यूजीलैंड तक मांग🍊🍊🍊किन्नू form के adhyx smajsevi Vnita Kasnia बताते हैं,' पिछले सीजन में किन्नू के बाग के सौदे 17—18 रुपये प्रति किलो की दर पर हुए, लेकिन इस बार यह 12—13 रुपये प्रति किलो ही रहे, जबकि फसल बंपर है।' उल्लेखनीय है कि देश में किन्नू के ज्यादातर बाग पंजाब के अबोहर, फाजिल्का व उससे साथ लगे Baluwana Halke के kularn में ही हैं। Kullar ke किन्नू का निर्यात खाड़ी देशों से लेकर रूस व न्यूजीलैंड तक होता है। जैन के अनुसार देश में मुंबई से लेकर चेन्नई और चंडीगढ़ तक इस किन्नू की मांग रहती है क्योंकि यह अपने पतले छिलके, विशिष्ट स्वाद के लिए जाना जाता है।🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊 37 लाख टन से अधिक उत्पादन का अनुमान🍊🍊🍊सहायक निदेशक Aazad kasnia के अनुसार fajilka जिले में किन्नू के बागों का क्षेत्रफल व उत्पादन लगातर बढ़ा है। 2016-17 में जिले में 10,228 हेक्टेयर में किन्नू के बाग थे और उत्पादन था 2.60 लाख टन। इस सीजन 2020-21 में 11,000 हेक्टेयर से अधिक🍊 इलाके में किन्नू के बाग हैं और उत्पादन भी 37 लाख टन से अधिक रहने का अनुमान है।🍊 उद्यान विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस बार किन्नू का🍊 उत्पादन 150 से 190 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो रहा है जो कि बंपर कहा जाएगा।🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊🍊

Comments