Mustard crop gold made for farmers, is being procured by bidding By social worker Vanita Kasani Punjab //4Bal Vanita Mahila AshramMustard production has been at a record level this time. kiss

सरसों की फसल किसानों के लिए बनी सोना, बोली लगाकर हो रही है खरीद

    By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब//
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सरसों की पैदावार इस बार रिकॉर्ड स्तर पर हुई है. किसानों के लिए यह फसल सोना बन चुकी है और बोली लगाकर सरसों की खरीद हो रही है.

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एमएसपी से अधिक कीमत पर किसान सरसों को सीधे खुले बाजार में बेच रहे हैं.

सरसों की पैदावार इस बार रिकॉर्ड स्तर पर हुई है. किसानों के लिए यह फसल सोना बन चुकी है और बोली लगाकर सरसों की खरीद हो रही है. स्थिति यह है कि सरसों आज सरकारी रेट यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक की कीमत पर बिक रही है. सरसों की एमएसपी 4650 रुपए है लेकिन व्यापारी खुली मंडी में सरसों 5100 रुपए से ज्यादा के रेट पर खरीद रहे हैं. आमतौर पर पैदावार अधिक होने से फसल की कीमत में कमी आ जाती है, लेकिन इस बार इसके उलट हो रहा है. रिकॉर्ड पैदावार के बाद भी व्यापारी खुली मंडी में बोली लगाकर सरसों खरीद रहे हैं.

हरियाणा की रोहतक मंडी में 5300 क्विंटल सरसों की खरीद एमएसपी से ज्यादा रेट पर बोली लगाकर की गई है. हर बार मिल वालों के पास सरसों का स्टॉक रहता था, लेकिन 2020 में स्थिति बिल्कुल उलट हो गई. मिलर्स के पास सरसों बचा ही नहीं और तभी से सरसों की कीमतें बढ़ती गईं. व्यापारी बता रहे हैं कि रिकॉर्ड पैदावार के बाद भी मांग में कमी नहीं आई है. लगातार मांग बढ़ने के कारण ही सरसों के दाम बढ़ रहे हैं.

पिछले महीने 6781 रुपए प्रति क्विंटल हुई थी खरीद

ऐसा नहीं है कि सिर्फ रोहतक की मंडी में ही सरसों की एमएसपी से अधिक की दर पर बिक रही है. राजस्थान के भरतपुर मंडी में इसका औसत रेट 5500 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है. राष्ट्रीय कृषि बाजार यानी ऑनलाइन मंडी के मुताबिक 25 मार्च को राजस्थान की चाकसू मंडी में सरसों का प्रति क्विंटल भाव 6,781 रुपये था. यह अपने आप में रिकॉर्ड है.

क्यों बढ़ रहे हैं सरसों के दाम?

कृषि विशेषज्ञ बताते हैं कि तिलहन के मामले में भारत अभी दूसरे देशों पर निर्भर है. इसलिए सरसों की अच्छी पैदावार के बावजूद किसानों को इसका अच्छा दाम मिल रहा है. खाद्य तेलों के इंपोर्ट पर सालाना 70,000 करोड़ रुपए से अधिक का खर्च हो रहा है. एक कारण सोयाबीन का महंगा होना भी है. रिफाइंड बनाने वाली मिलें भी रिफाइंड के लिए सरसों खरीद रही हैं. इंटरनेशनल मार्केट में भारत के मुकाबले ज्यादा तेजी है, इसलिए भी किसानों को सरसों की फसल का अच्छा दाम मिल रहा है.

इस बार कितनी होगी सरसों की पैदावार?

कृषि मंत्रालय के अनुसार इस बार सरसों की पैदावार पहले के मुकाबले काफी ज्यादा हुई है. माना जा रहा है कि 2019-20 में सरसों की उपज 91.2 लाख टन हुई थी, जो 2020-21 में बढ़कर 104.3 लाख टन होने की संभावना है. बताया जा रहा है अभी तक कभी भी देश में इतनी सरसों की पैदावार नहीं हुई है. डीडी न्यूज के अनुसार, इस बार सरसों की पैदावार में काफी बढ़ोतरी हुई है. इस कारण किसान सरकारी मंडियों में न बेचकर सीधे व्यापारियों को बेच रहे हैं. किसानों को बढ़े हुए दाम का फायदा मिल रहा है.

देश के अन्य मंडियों में सरसों के भाव

डीडी न्यूज के अनुसार, उत्तर प्रदेश की आगरा मंडी में 31 मार्च को भाव 5150 रहा जबकि 1 अप्रैल को 4950 रुपये प्रति क्विंटल रहा है. वहीं, राज्य की एटा मंडी में 31 मार्च को 4920 रुपए और 1 अप्रैल को भाव 4950 रुपए प्रति क्विंटल था. वहीं, मथुरा की मंडी में 31 मार्च को भाव 5050 रुपए प्रति क्विंटल था और 1 अप्रैल को 5100 रुपये प्रति क्विंटल था. इसके अलावा इटावा में सरसों के भाव 5050 रुपए, लखनऊ में 4900, हाथरस में 4900 रुपए रहे.

इन राज्यों के किसान करते हैं सरसों की ज्यादा खेती

अपने देश में सरसों की खेती मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान, पंजाब, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में की जाती है. लेकिन खाद्य तेल के रूप में देशभर में इसका उपयोग किया जाता है. सरसों के तेल में पाए जाने वाले औषधीय गुण के कारण इसकी मांग बाजार में हमेशा बनी रहती है. औषधीय गुण के कारण ही सरकार ने सरसों के तेल में अन्य खाद्य तेल मिलाने पर रोक लगा दी है. इसका सीधा फायदा किसानों को होता है.

सरसों की जैविक खेती से ज्यादा मुनाफा

जैविक खेती मौजूदा समय की मांग है. जैवीक खेती के चलते किसानों की लागत कम हो रही है, जिससे मुनाफा बढ़ रहा है. इसके साथ ही पर्यावरण और मिट्टी को भी लाभ पहुंचता है. अगर आप भी पारंपरिक तरीके से सरसों की खेती करते हैं तो एक बार जैविक तरीका अपनाकर देख सकते हैं. इस विधि से आपका मुनाफा भी बढ़ेगा और आपके खेत की मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी बढ़ेगी.

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