Farmers earn tremendous income from cultivation of these crops, the government also encourages you, try alsoChild Vanita Women's CommissionThere is a lot of potential in the field of agriculture. If farmers try with traditional crops only

इन फसलों की खेती से किसानों को रही जबरदस्त कमाई, सरकार भी करती है प्रोत्साहित, आप भी आजमाइए

    

कृषि के क्षेत्र में आपार संभावनाएं हैं. अगर किसान पारंपरिक फसलों के साथ ही प्रयोग के तौर पर अन्य फसलों या पौधों की खती करें तो उनकी कमाई कई गुना तक बढ़ सकती है,

केंद्र सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इस दिशा में तेजी से काम भी हो रहा है. किसानों के हित में योजनाएं बन रही हैं और उनका लागत कम कर के मुनाफा बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है. इसी कड़ी में पारंपरिक फसलों से हटकर नई फसलों की खेती को सरकार प्रोत्साहित कर रही है. औषधीय पौधों की खेती की तरफ किसानों को लाने के लिए काम हो रहा है. केंद्र और राज्य सरकार की तमाम एजेंसियां किसानों तक पहुंचकर जानकारी दे रही हैं. खेती करने वाले किसानों का उदाहरण देकर उन्हें इससे जोड़ा जा रहा है. पारंपरिक फसलों के मुकाबले मुनाफा ज्यादा होने के नाते तेजी से किसान इन फसलों की तरफ रुख कर रहे हैं. अगर आप भी औषधीय पौधों की खती करना चाहते हैं तो हम आपको कुछ के बारे में जानकारी दे रहे हैं. (फोटो-गूगल
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सहजन को अंग्रेजी में ड्रम स्टिक कहते हैं. सहजन सब्जी बनाने से लेकर दवाओं के निर्माण तक में इस्तेमाल होता है. भारत के ज्यादातर हिस्से में इसकी बागवानी आसानी से की जा सकती है. एक बार पौधा लगा देने से कई सालों तक आप इससे सहजन प्राप्त कर सकते हैं. इसके पत्ते, छाल और जड़ तक का आयुर्वेद में इस्तेमाल होता है. 90 तरह के मल्टी विटामिन्स, 45 तरह के एंटी ऑक्सीजडेंट गुण और 17 प्रकार के एमिनो एसिड होने के कारण सहजन की मांग हमेशा बनी रहती है. सबसे खास बात है कि इसकी खेती में लागत न के बराबर आती है.

लेमनग्रास को आम बोलचाल की भाषा में नींबू घास कहा जाता है और इसका वैज्ञानिक नाम सिम्बेपोगोन फ्लक्सुओसस है. लेमनग्रास की खेती कर रहे किसान बताते हैं कि इस पर आपदा का प्रभाव नहीं पड़ता और पशु नहीं खाते तो यह रिस्क फ्री फसल है. वहीं लेमनग्रास की रोपाई के बाद सिर्फ एक बार निराई करने की जरूरत पड़ती है और सिंचाई भी साल में 4-5 बार ही करनी पड़ती है. यह किसानों के लिए काफी फायदे का सौदा है. इत्र, सौंदर्य के सामान और साबुन बनाने में भी लेमनग्रास का उपयोग होता है. विटामिन ए की अधिकता और सिंट्राल के कारण भारतीय लेमनग्रास के तेल की मांग हमेशा बनी रहती है.
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अश्वगंधा एक झाड़ीदार पौधा है. इसके फल, बीज और छाल का उपोयग विभिन्न दवाइयों को बनाने में किया जाता है. अश्वगंधा की जड़ से अश्व जैसी गंध आती है. इसी लिए इसे अश्वगंधा कहा जाता है. सभी जड़ी-बूटियों में सबसे अधिक प्रसिद्ध है. तनाव और चिंता को दूर करने में अश्वगंधा को सबसे फायदेमंद माना जाता है. बाजार में आसानी से चूर्ण वगैरह मिल जाते हैं. औषधीय गुणों से भरपूर अश्वगंधा की खेती से किसानों को काफी लाभ मिल रहा है. लागत से कई गुना अधिक कमाई होने के चलते ही इसे कैश कॉर्प भी कहा जाता है.
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सतावर या शतावरी के खेती से किसानों को काफी अच्छी कमाई हो रही है. किसानों के लिए मुनाफा का जरिया बन चुके सतावर की एक एकड़ में खेती कर किसान 5-6 लाख रुपए तक की कमाई कर रहे हैं. शतावर भी औषधीय गुणों से भरपूर एक पौधा है. हालांकि इसके तैयार होने में एक साल से अधिक का समय लगता है. फसल तैयार हो जाने पर किसानों के लागत से कई गुना ज्यादा का रिटर्न यह देता है.

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