A new way of spreading rumours.Central government abolished OBC quotaDue to which there was a loss of 10,000 seats.Now listen to the real math.Total MBBS Seats in India – 83075Total Government MBBS Seats in India - 41388in government seat

अफवाह फैलाने का नया तरीका।
केंद्र सरकार OBC कोटा समाप्त कर दी 
जिससे 10,000 सीटो का नुकसान हो गया।

अब असली गणित सुनिये।
भारत में कुल MBBS सीट- 83075
भारत में कुल सरकारी MBBS सीट- 41388

इन सरकारी सीटों में केंद्र सरकार की सीटें- 6208
राज्य सरकार के कोटे की सीटें- 35180

केंद्र सरकार की सीट पर OBC आरक्षित सीटों की कुल संख्या- 1676
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अब मसला यह है की जब आरक्षित सीट की कुल 1676 हैं तो 10,000 सीट का घाटा कैसे हो गया।

असली मामला यह है की प्राईवेट कालेजों की संख्या बढ़ जाने से उनमें आरक्षण का फार्मूला लगाने पर उनको पर्याप्त संख्या में छात्र ही नहीं मिल पा रहे हैं। जिस कारण वहाँ आरक्षण को आवेदक की कमी के कारण हटा दिया जाता है। बिलकुल यहीं स्थिति BDS की है। वहाँ तो सरकारी कालेज़ में भी पर्याप्त मात्रा में छात्र नहीं मिल पा रहे हैं और कई BDS के कालेज बन्द भी हो चुके हैं।

यह 10,000 वाला आकड़ा 
कहां से आया अब इसे समझिये। 
प्राईवेट MBBS सीटों की संख्या- 41687
इन सीटों में OBC सीटों का कोटा- 11225

इन्हीं 11000 सीटों को लेकर सारा भ्रम, 
अफवाह, झूठ का बाज़ार खड़ा किया जा रहा है।
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अब इस झूठ का राजनीतिक विश्लेषण 
यह मामला काफी समय से कांग्रेस द्वारा गर्माने का प्रयास किया गया पर कोर्ट में जाने के बाद पोल खुल गयी। क्युकि वह कालेज जो राज्य सरकार के पैसे से चलते हैं उन पर केंद्र का कोटा भले 15% सीटों पर हो, लेकिन वह वहाँ अपना 27% आरक्षण का नियम नहीं थोप सकतें। वहा उनको राज्य के अधिकतम सीमा को ही मानना होगा। जबकी जो कालेज पूर्ण या आंशिक रूप से केंद्र के अंतर्गत आते हैं वहाँ केंद्र अपने 27% के नियमानुसार आरक्षण देता रहा है। 
इसी कारण कोर्ट किसी भी प्रकार से भारतीय संविधान में संघीय व्यवस्था के मूलभूत ढांचे पर अपनी तरफ चाहे अनचाहे रूप से भी कोई बदलाव में अक्षम होने से इस पर रास्ता नहीं निकाल पा रही है। यदि कोर्ट ने इस मामले में राज्य या संघीय शासन में से किसी एक का भी पक्ष लिया तो यह हर क्षेत्र में नये विवाद को मौका देगा। अत: सन 1986 से इस पर यथास्थिति बरकरार है। 
प्रश्न यह है की आखिर इस प्रकार का विवाद केवल OBC  आरक्षण के सम्बन्ध में ही क्युं हैं?
क्युकि बाकी सारे आरक्षण पूरे देश में राज्य और केंद्र द्वारा एक समान रूप से लागू हैं। इस कारण यह सम्भव है की इस यथास्थिती से OBC की 1600 सीटो में 40-50 सीटों पर प्रभाव पड़ता भी हो। पर इस तरह के प्रभाव अन्य जगहों पर पड़ने पर भी विवाद न हो उसके लिये यथास्थिती बनाई गयी है। जैसे मायावती के शासन काल में कुछ ऐसे मेडिकल कालेज बनाये गये जिसमें दलित आरक्षण 70% तक है। इस अनुसार इन कालेज़ो में जनरल कोटे के 20% सीटों की हानि हो रही है। पर इस पर विवाद यह है यह कालेज अनुसूचित जाति कल्याण कोटे के पैसे को डायवर्ट करके बनाया गया था। सो यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें निर्णय कर पाना कठिन है। क्युकि एक पक्ष यह है की जिसके लिये आवंटित पैसे से कालेज बना उसका विशेष अधिकार बनता है, जबकी दूसरा पक्ष यह है की कालेज़ बनने के बाद वह चिकित्सा शिक्षा विभाग का हिस्सा बन चुका है सो जातिय आरक्षण 50% से ज्यादा कैसे हो सकता है,तो कई बार छोटे-छोटे मसलों पर बड़े विवादों से बचने के लिये यथास्थिती बनी होती है।

अब इसके पीछे के 
वास्तविक कारण को समझते हैं।
जब से मोदी सरकार के नये मंत्रीमंडल का गठन हुआ है, तबसे OBC के ठेकेदारी करने वाले दलों के पेट में मरोड उठ आया है। उत्तर प्रदेश और बिहार में इन दलों का यह मानना है की केवल एक विशेष यादव परिवार ही जब तक केंद्र अथवा राज्य में भागेदारी नहीं पाता तब तक उसे OBC की भागेदारी नहीं कही जायेगी। अभी स्थिति यह है की केंद्र में 04 यादव मंत्री भी हैं, पर यह दल इन 04 यादव मंत्रियों को नकली यादव का तमगा दे देंगे। इसी प्रकार कुर्मी पटेल समुदाय से 8 मंत्री केंद्र में हैं पर उन्हें भी ये दल नकली कुर्मी का तमगा दे देंगे। 02 लोधी महत्वपुर्ण दायित्व पर हैं, पर उन्हें भी नकली लोध बताया जायेगा। सब छोड दिजिये प्रधानमंत्री को भी नकली तेली और राष्ट्रपति को भी नकली दलित कहने वालों की कमी नही है।
वनिता पंजाब
मसला बस इतना है की जब तक कुछ विशेष परिवार के यादव, विशेष परिवार के जाट, विशेष परिवार के जाटव संवैधानिक पदों पर कब्जा नहीं जमाते तब तक चाहे आज तक इतिहास में मंत्री मंडल में सबसे ज्यादा OBC अथवा SC ST हों, इसे उस समाज का प्रतिनीधित्व स्वीकार नहीं किया जायेगा। तो इन लोगों के खिलाफ माहौल बनाने के लिये इन दलों की ओर से पोषित धूर्त चिन्तक अचानक ऐसा माहौल बनायेंगे मानों जब तक वह परिवार विशेष अपने अपने राज्यों में सत्ता नहीं पा जाते तब तक असली OBC नेतृत्व नहीं आयेगा और ये जो भाजपा के नेतृत्व में OBC नेता हैं, वह वास्तव में बेकार हैं, इनका OBC से कोई लेना देना नहीं है। केवल पदलोलुपता के लिये यह मंत्री बन बैठे हैं।
इन धूर्तों के जाल में फसकर बाकी OBC जातियां अपने वास्तविक उभरते हुए नेतृत्व को समर्थन देने के बजाय फिर से उन परिवारों की गुलामी शुरु कर देती है जिनका एक ही लक्ष्य है, अपने परिवार का भला। ऐसे लोग जल्द से जल्द इस भ्रमजाल से उबरें और अपने नये उभरते, जमीनी, अपनी मेहनत से नेत्रित्व प्राप्त करने वाले लोगों को सम्मान दें। वरना जब वह परिवार विशेष आयेगा तो आपको केवल झूठन ही मिलेगा,वह भी कुत्तों की भाति चाटने के लिये।

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