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#बलुवाना #न्यूज #किसान, #पंजाब : संरक्षित #खेती #किसानों के लिए लाभ का सौदा है। टमाटर, शिमला मिर्च, ब्रोकली, फूल गोभी, पत्ता गोभी, खीरा, मिर्च, अदरक, गाजर, लौकी, #करेला, #मटर, #धनिया, भिंडी, तोरई आदि की संरक्षित खेती की जाती है।यह जानकारी शुक्रवार को उद्यान विभाग के वैज्ञानिक एवं विषय समन्वयक डा. आजाद कुमार kasnia ने कृषि विज्ञान केंद्र कुलार में 'सब्जियों की संरक्षित खेती से किसानों की आय दोगुनी' विषय पर दी। पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन पर किसानों को प्रशिक्षण का अभ्यास करवाया बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष डा. वनिता कासनियां पंजाब ने सब्जियों की संरक्षित खेती करने के लिए नई #कृषि #तकनीकी और #मौसम के अनुसार #सब्जियों के उत्पादन की जानकारी दी। प्रशिक्षण में वरिष्ठ #कृषि वैज्ञानिक डा. आजाद कुमार आदि थे।संरक्षित खेती के लिए उपयोगी होंगे निम्न उपाय :संरक्षित खेती के लिए पालीहाउस, शेडनेट हाउस व प्लास्टिक मल्चिंग प्रमुख संरचनाएं हैं। शेडनेट हाउस यानी छायादार जालीगृह हरे रंग सामग्री से बनाया जाता है। यह लोहे, बांस या लकड़ी की मदद से बना सकते हैं। यह ग्रीनहाउस के सिद्धांत पर काम करता है। इससे गर्मी के मौसम में भी सब्जियां, फल, फूल उगाएं जा सकते हैं। गर्मी के दिनों में हवा का तापमान अधिक से प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती है। इससे मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है। इससे टमाटर, शिमला मिर्च समेत अन्य सब्जियां सूखने लगती हैं।वहीं #प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग टमाटर, गोभी और कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए बेहद फायदेमंद होता है। इससे खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी कटाव और पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता है। इस तकनीक से 40 फीसदी उत्पादन बढ़ने के साथ खाद एवं सिंचाई के जल की बचत की जाती है।संरक्षित खेती के लिए प्रमुख संरचनाएं-पालीहाउससंरक्षित खेती के लिए आजकल दो तरह के पालीहाउस का निर्माण कराया जाता हैं।एक हाइटेक पालीहाउस और दूसरा प्राकृतिक हवादार पालीहाउस। हाइटेक पालीहाउस काफी महंगा होता हैं, इसमें तापमान नियंत्रण, सिंचाई समेत विभिन्न कार्यों को कम्प्यूटर की मदद से संचालित किया जाता हैं।इसमें गुणवत्तापूर्ण ज्यादा उत्पादन होता हैं।वहीं प्राकृतिक हवादार पालीहाउस में सिंचाई, खाद-उर्वरक देना आदि कामों को मैन्युअल किया जाता हैं। इसमें पालीथिन शीट का प्रयोग किया जाता हैं।जिसकी मदद से #कार्बनडाईऑक्साइड को संरक्षण किया जाता हैं।जो पौधों के विकास में लाभदायक होता हैं।इसमें हाइटेक पालीहाउस की तुलना में कम उत्पादन होता हैं।शेडनेट हाउस-शेडनेट हाउस यानी छायादार जालीगृह होता हैं।जहां पालीहाउस में प्लास्टिक लगा होता है, वहीं शेडनेट हाउस हरे रंग के मटेरियल से निर्मित किया जाता हैं।इसके अंदर उगाई जाने वाली फसलों को बाहरी प्रतिकुल मौसम से संरक्षित करने में मदद मिलता हैं।शेडनेट हाउस लोहे, बांस या लकड़ी की मदद से बना सकते हैं।इसे हवादार नेट से ढंक दिया जाता हैं।यह ग्रीनहाउस के सिद्धांत पर काम करता हैं।इसमें तापमान अनुकूल रहता हैं, जिससे गर्मी के मौसम में भी सब्जियां, फल, फूल उगाएं जा सकते हैं।गर्मी के दिनों में हवा का तापमान बढ़ जाता हैं और प्रकाश की तीव्रता भी बढ़ जाती हैं।इससे #मिट्टी का तापमान बढ़ जाता है।जिससे टमाटर, #शिमला #मिर्च समेत विभिन्न सब्जियां सुखने लगती हैं।#प्लास्टिक मल्चिंग-टमाटर, #गोभीवर्गीय और कद्दू वर्गीय सब्जियों के लिए प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग बेहद फायदेमंद होता हैं।प्लास्टिक मल्चिंग के उपयोग से खरपतवार नियंत्रण, मिट्टी कटाव और #पौधों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए किया जाता हैं।इस तकनीक का प्रयोग करके 30 से 40 फीसदी उत्पादन बढ़ने के साथ ही खाद एवं सिंचाई के जल की बचत होती हैं।
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