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किसान

, ब्रिटेन के मंत्री लॉर्ड तारिक अहमद ने अपनी नई दिल्ली यात्रा से पहले शुक्रवार को कहा कि भारत ने एक लोकतंत्र के रूप में विरोध प्रदर्शन के अधिकार की गारंटी दी है और कृषि सुधारों को लेकर किसानों का विरोध प्रदर्शन एक ऐसा मुद्दा है जो पूरी तरह से भारत सरकार का मामला है।By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब.गौरतलब है कि इस हफ्ते की शुरुआत में इस मुद्दे पर ब्रिटेन की संसदीय समिति के एक कक्ष में एक चर्चा आयोजित की गई थी जिसकी भारत ने किसी अन्य लोकतांत्रिक देश की राजनीति में पूर्ण हस्तक्षेप बताकर निंदा की थी। यहां तक कि उस बैठक को लेकर मुलाकात करने के लिए विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस को बुलाया था। ब्रिटेन के विदेश, राष्ट्रमंडल और विकास कार्यालय (एफसीडीओ) में भारतीय मामलों के राज्य मंत्री लॉर्ड अहमद सोमवार को अपनी पांच दिवसीय भारत यात्रा शुरू करेंगे।उन्होंने अपनी यात्रा से पहले यहां संवाददाताओं से बातचीत के दौरान कहा कि यह एक बहुत ही सौहार्दपूर्ण बैठक थी। यह पहली बार है जब वे विरोध के मुद्दे पर औपचारिक रूप से बैठक कर रहे थे और इस पर चर्चा की। भारत ने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है, हमने यह बात भी दोहराई है कि बहस की संसदीय प्रणाली और हमारे संसदीय लोकतंत्र की प्रकृति ऐसी हो कि सरकार की स्थिति को भी स्पष्ट रूप से रखा जा सके।उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन कई महीनों से हो रहे हैं और लोकतंत्र के रूप में भारत ने पूरी तरह से विरोध के अधिकार की गारंटी दी है और इसे सुरक्षित किया है, जिसे हम पूरी तरह से स्वीकार करते हैं। मैं पूरी तरह से स्पष्ट करता हूं कि विरोध प्रदर्शन का यह मामला पूरी तरह से भारत सरकार का मामला है।इस यात्रा को ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के आगामी दौरे के लिए कार्यक्रमों को अंतिम रूप देने के रूप में देखा जा रहा है, जो जून में कॉर्नवाल में जी7 शिखर सम्मेलन से पहले भारत का दौरा करने वाले हैं।

, हल्दी एवं अदरख के औषधीय गुण एवं खेतीहल्दी के गुणअदरख के गुणहल्दी एवं अदरख की खेतीजलवायुमिट्टी एवं उसकी तैयारीबुआई का समयउन्नत किस्मेंबीज दर एवं बीज उपचारखाद एवं उर्वरकलगाने की दूरीलगाने की विधिकृषि कार्य एवं देखभालखुदाई एवं उपजअदरख से सोंठ बनानाहल्दी एवं अदरख के बीज को रखनाहल्दी के गुणमुख्य रूप से मसाले के रूप में उपयोग होता है।यह भूख को बढ़ाता है तथा टॉनिक बनाने में इसका उपयोग होता है।खून को साफ़ करता है।आंतरिक चोट को ठीक करता है तथा चमड़े के इंफेक्शन को ठीक करता है। एंटीसेप्टिक के रूप में इसका प्रयोग होता है।प्रसाधन सामग्री तथा ‘कुम-कुम’ में इसका उपयोग होता है।खाँसी में आग में हल्दी को भुनकर तथा पीसकर पानी के साथ सेवन करने से लाभ होता है।दूध के साथ हल्दी के सेवन करने से चोट के कारण सूजन कम होता है तथा पेट का कीड़ा भी मरता है।दर्द और सूजन पर हल्दी एवं चूना का लेप लगाने से आराम होता है।अदरख के गुणपाचन क्रिया को बढ़ाता है, बलगम को दूर करता है।खून की नली को फैलाने के कारण खून के बहाव को ठीक करता है।मोटापा को दूर करता है।पेट में गैस को दूर करने के अजवाइन तथा नींबू का रस के साथ उपयोग करने से लाभ होता है (50 ग्राम अदरख पाउडर एवं 30 ग्राम अजवाइन तथा एक नींबू का रस) ।आवाज बंद होने पर मधु के साथ अदरख के रस का सेवन किया जाता है।कब्ज एवं खाँसी में भी अदरख के सेवन से लाभ होता है।हल्दी एवं अदरख की खेतीहल्दी एवं अदरख दोनों मसाले वाली सब्जियाँ हैं जिसकी खेती हमारे देश में काफी बड़े पैमाने पर कीजाती है। इन मसालों को सब्जियों में प्रयोग के अतिरिक्त औषधि के रूप में भी प्रयोग होता आ रहा है। सब्जी में तो हल्दी का प्रयोग आवश्यक रूप से होता ही है। अदरख का निर्यात विदेशों में भी किया जाता है, जिससे विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। छोटानागपुर में भी इनकी खेती कर किसान भाई अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इनकी खेती के लिए आरंभ में काफी पूँजी लगानी होती है। बीज पर अधिक खर्च होता है। अगर किसान भाई बीज अगले साल के लिये रख लें तो सिर्फ प्रथम वर्ष में ही पूँजी लगाने की जरूरत होगी।जलवायुये दोनों गर्म तथा तर मौसम में अच्छी उपज देती है। इनकी खेती खरीफ मौसम में की जाती है। वानस्पतिक वृद्धि के लिये हल्की वर्षा अच्छी होती है। पकने के समय वर्षा की आवश्यकता नहीं होती है। जहाँ वर्षा 1000-1400 मि. लीटर तक होती है वहाँ इनकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है। इस लिहाज से पठारी क्षेत्र इनकी खेती के लिये उपयुक्त है। इनके लिये पर्याप्त वर्षा होती है। हल्दी एवं अदरख को लगाने के लिये लगभग 30 डिग्री तापक्रम की आवश्यकता होती है। हल्दी एवं अदरख की खेती छायादार जगह में भी की जा सकती है। घर के उत्तरी तरफ या पेड़ के उत्तरी भाग में जहाँ कम धूप रहती है, इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।मिट्टी एवं उसकी तैयारीहल्दी एवं अदरख दोनों जमीन के नीचे बैठते हैं, इसलिए हल्की मिट्टी का होना आवश्यक है। मिट्टी में जल का निकास अच्छा होना चाहिए। बलुआही दोमट से लेकर दोमट मिट्टी उपयुक्त है। मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में जीवांश का होना आवश्यक है। क्षारीय मिट्टी में अच्छी उपज नहीं मिलती है। किसान भाई को जमीन भी बदलते रहना चाहिए तथा एक ही खेत में लगातार तीन साल तक खेती नहीं करनी चाहिये। एक ही खेत में लगातार कई साल तक खेती करने से रोग लगने की संभावना बढ़ जाती है।खेत की तैयारी करने के लिए एक बार मिट्टी पलटने वाले हल से तथा तीन-चार बार देशी हल से जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बना लेते हैं जो जमीन से 10-15 सेंटीमीटर ऊँची होनी चाहिये।बुआई का समयहल्दी एवं अदरख लगभग आठ माह में तैयार होते है इसलिए इनकी बुआई अगात करना आवश्यक है ताकि इन्हें बढ़ने का पर्याप्त समय मिले। अगर सिंचाई की सुविधा हो तो मध्य मई में इनकी बुआई कर दें। वर्षा पर आधारित खेती करना है तो जैसे ही मौनसून की वर्षा हो इनकी बुआई कर दें।उन्नत किस्मेंहल्दी की ‘पटना’ नाम से जानी जाने वाली किस्म बिहार एवं बंगाल में प्रचलित है। राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय द्वारा चयनित किस्म ‘मीनापुर’ है जो मध्यकालीन किस्म है। राजेन्द्र सोनिया नामक किस्म इस क्षेत्र में अच्छी उपज देती है। हल्दी की अन्य किस्में कृष्णा, कस्तुरी, सुगंधम, रोमा, सुरोभा, सुदर्शना, रंगा एवं रशिम है।बीज दर एवं बीज उपचारबीज का चुनाव सावधानीपूर्वक करें। स्वस्थ तथा रोग रहित प्रकंद का चुनाव करें। लम्बी गांठ जिनमें तीन-चार स्वस्थ कलियाँ हो बीज के लिये उपयुक्त होती है। बड़े प्रकंद को काटकर भी लगा सकते हैं। काटकर लगाने पर प्रकंद का उपचार करना आवश्यक है तथा काटते समय यह भी ध्यान रखें कि प्रत्येक टुकड़े में कम से कम दो-तीन कलियाँ अवश्य रहे। एक हेक्टेयर में खेती के लिये लगभग 20-25 क्विंटल प्रकंद बीज की आवश्यकता होगी। काटकर लगाने पर कम प्रकंद की आवश्यकता होगी।लगाने के पहले प्रकंद का उपचार करना आवश्यक है, खासकर प्रकंद को काटकर लगाने पर। इसके लिये इंडोफिल एम. – 45 नामक दवा का 0.2 प्रतिशत घोल बना लेना चाहिये। एक लीटर पानी में 2 ग्राम दवा मिलाने पर 0.2 प्रतिशत घोल बनेगा। बेभिस्टीन नामक दवा का 0.1 प्रतिशत घोल का प्रयोग भी कर सकते हैं। 0.1 प्रतिशत घोल बनाने के लिए एक लीटर पानी में 1 ग्राम दवा मिलायें। दोनों दवाओं के मिश्रण से घोल बनाने पर अधिक उपयोगी पाया जाता है। प्रकंद का उपचार करने के लिये घोल में प्रकंद को 1 घंटा डुबाकर रखते हैं तथा इसके बाद घोल से निकालकर 24 घंटा तक छायादार जगह में रखते हैं। उसके बाद ही इनकी बुआई करते हैं। बीज प्रकंद का उपचार एगलौल या सरैशन या ब्लाईटाक्स के 0.25 प्रतिशत घोल में भी कर सकते है।खाद एवं उर्वरकप्रति हेक्टेयर – कम्पोस्ट : 20 क्विंटलयूरिया : 200-225 किलोएस.एस.पी. : 300 किलोएम.ओ.पी. : 80-90 किलोकम्पोस्ट खेत तैयार करते समय मिट्टी में अच्छी तरह मिला दें। खेत की अंतिम तैयारी के समय पोटाश की आधी मात्रा एन फ़ॉस्फोरस की पूरी मात्रा दें। बुआई के 60 दिन बाद यूरिया की आधी मात्रा एवं पोटाश की शेष आधी मात्रा को दें। बुआई के 90 दिन बाद यूरिया की शेष आधी मात्रा को दें तथा मिट्टी चढ़ा दें।लगाने की दूरीहल्दी : 45 सें.मी. x 15 से.मी.अदरख : 40 सें.मी. x 10 सें.मी.लगाने की विधिगर्मी में नाली बनाकर लगायें। बरसात में ऊँची क्यारी बनाकर लगायें।(क) गर्मी में हल्दी एवं अदरख की बुआई के लिए 40-45 सेंटीमीटर की दूरी पर 15-20 सेंटीमीटर गहरा तथा उतना ही चौड़ा नाली (ट्रेच) बनाते हैं। नाली में कम्पोस्ट तथा रसायनिक खाद के मिश्रण को देकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देते हैं। नाली में 10 सेंटीमीटर के फासले पर बीज प्रकंद की बुआई करते हैं तथा मिट्टी को ढंक देते हैं। मिट्टी से ढंकते समय ख्याल रखें की नाली जमीन से थोड़ा नीचे ही रहे ताकि गर्मी में पानी देने में सुविधा हो। बरसात आने पर मिट्टी चढ़ा देते हैं ताकि पानी न जमने पाये।(ख) बरसात में हल्दी एवं अदरख को लगाने के लिए खेत को भुरभुरा कर छोटी-छोटी क्यारियाँ जमीन से 8-10 सेंटीमीटर ऊँची होनी चाहिए, ताकि बरसात में पानी न लगे। 3.20 मीटर लम्बा तथा 1 मीटर चौड़ाई के क्यारियाँ बना सकते हैं। इन क्यारियों में 40 सेंटीमीटर की दूरी पर लाइन तथा 10 सेंटी मीटर पौधा से पौधा की दूरी रखकर बुआई करते है। बुआई के लिए 10 सेंटीमीटर गहराई की नाली बनाते हैं तथा उस नाली में 10 सेंटीमीटर की दूरी पर प्रकंद को रखकर बुआई करते हैं। बुआई के समय प्रकंद में आँख (कली) ऊपर की तरफ होनी चाहिये। बुआई के बाद प्रकंद को मिट्टी से ढँक देते है। इसके बाद सिंचाई कर देते हैं। बुआई के बाद क्यारी को 5-6 सेंटीमीटर मोटा आम, शीशम, घास-फूस या गोबर की सड़ी खाद से ढँक देते हैं ताकि नमी बनी रहे। इससे खरपतवार भी कम उगेंगे।कृषि कार्य एवं देखभालखेत को खरपतवार से मुक्त रखना आवश्यक है। इसके लिए तीन-चार बार निकाई-गुड़ाई करनी चाहिए। अंतिम बार गुड़ाई कर मिट्टी चढ़ा देनी चाहिये। आरंभ में दो तीन सिंचाई की आवश्यकता हो सकती है। वर्षा काल में सिंचाई देने की आवश्यकता नहीं होगी, लेकिन जल एक जमाव न हो इसका ध्यान अवश्य रखें। जब फूल निकले तो उसे निकाल फेंकें। विशेषज्ञ से सलाह लेकर फसल को कीट एवं व्याधि से बचायें।खुदाई एवं उपजअदरख की फसल लगभग आठ से नौ माह में तथा हल्दी नौ से दस माह में खुदाई करने लायक हो जाती है जब पौधे की पत्तियाँ पीली तथा मुरझाई हुई तथा झुकी दिखाई दे तो यह समझना चाहिए कि अब खुदाई का उचित समय है। इस समय सावधानी से कोड़कर निकाल लें। कच्ची हल्दी की उपज लगभग 400-450 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है तथा इनसे सुखा हल्दी 15 से 25 प्रतिशत के हिसाब से प्राप्त होती है। अदरख की उपज 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर लगभग होती है। अदरख को उखाड़ने के बाद दो-तीन बार पानी से धोकर धूलकण को साफ़ कर लेते हैं। इसके बाद तीन-चार दिन तक हल्की धूप में सुखाते हैं।हल्दी के गाँठो को भी धोकर अच्छी तरह साफ़ कर लेते हैं। इसके बाद गांठों को पानी में जिसमें 0.1 प्रतिशत चूना मिला रहता है उबालते समय जब बर्त्तन में झाग आने लगे तथा हल्दी जैसे गंध आने लगे तो प्रकंद को बाहर निकालकर 10-15 दिन तक छाया में अच्छी तरह सुखाकर रख लेते हैं।अदरख से सोंठ बनानासोंठ बनाने के लिए अदरख की अच्छी-अच्छी गांठों को छाँटकर पानी में डाल दें। जब उसका छिलका गल जाये तो साफ़ करके एक सप्ताह के लिए धूप में सुखाना चाहिये। इसके बाद चूने के पानी और गंधक से उपचारित करके फिर धूप में डालना चाहिये। इस प्रकार अदरख का लगभग 1/5 हिस्सा सोंठ के रूप में मिलता है। By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब.हल्दी एवं अदरख के बीज को रखनाकिसान भाई को अगले साल के लिए बीज प्रकंद को रखना आवश्यक है। इसके लिये छायादार जगह में 1 मीटर गहरा एवं 50 सेंटीमीटर चौड़ा गड्डा बनाते हैं। बीज प्रकंद को इंडोफिल एम. 45 या बेभिस्टीन से उपचार कर लेते हैं। गड्डे के सतह पर 20 सेंटीमीटर बालू का सतह रखते हैं। इसके ऊपर 30 सेंटीमीटर लेयर प्रकंद को रखते हैं। इसके ऊपर बालू का लेयर देकर फिर प्रकंद का लेयर देते हैं। इस तरह गड्डे में प्रकंद को रखकर गड्डा को पटरा से ढक देते हैं। पटरा एवं प्रकंद के बीच 10 सेंटीमीटर खाली जगह हवा के लिये छोड़ देते हैं। इसके बाद ऊपर से मिट्टी से लेप कर देते हैं। इस प्रकार बीज प्रकंद को सुरक्षित रखकर अगले मौसम में बुआई करते हैं।

🌷जय श्री कृष्ण🌷🙏🙏🌷

, ਕਿਉਂ ਤਿੰਨੇਂ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਨੂੰ ਰੱਦ ਨਹੀਂ ਕਰਨਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਮੋਦੀ ਸਰਕਾਰ # * ਕਿਉਂਕਿ ਪੂੰਜੀਵਾਦੀ ਸਰਕਾਰਾਂ ਡਰਦੀਆਂ ਹਨ, ਕਿ ਜੇ ਅੱਜ ਇਹ ਬਿੱਲ ਵਾਪਸ ਲਿਆ ਤਾਂ ਕੱਲ੍ਹ ਨੂੰ ਸਦੀਆਂ ਤੋਂ ਸਤਾਏ ਹੋਏ ਪੀੜਿਤ ਤੇ ਸ਼ੋਸ਼ਿਤ ਮਜ਼ਦੂਰ ਆਪਣੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਲਈ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਚ ਨਾ ਆ ਜਾਣ । ਆਪਣੀ ਦਿਹਾੜੀ ਵਧਾਉਣ ਦੀ ਮੰਗ, 12 ਘੰਟੇ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਕਾਨੂੰਨ,ਰੱਦ ਕਰਨ, ਸਿੱਖਿਆ, ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਰੋਟੀ ਕੱਪੜਾ ਤੇ ਮਕਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਲੈ ਕੇ ਸੰਘਰਸ਼ਾਂ ਦੇ ਮੈਦਾਨ ਚ ਨਾ ਉਤਰ ਆਉਣ।ਜੇਕਰ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਚੇਤਨਾ ਮਜ਼ਦੂਰ ਜਮਾਤ ਵਿੱਚ ਆਉਂਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਲੁੱਟ ਅਤੇ ਡਰ ਦੀ ਰਾਜਨੀਤੀ ਖ਼ਤਮ ਹੋ ਜਾਵੇਗੀ ਅਤੇ ਬੁਰਜੂਆਜੀ ਪਾਰਟੀਆਂ ਦਾ ਵੋਟ ਬੈਂਕ ਖਤਮ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ ....... * ਕੱਲ੍ਹ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਪੜ੍ਹੇ ਲਿਖੇ ਨੌਜਵਾਨ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਲਈ ਅੰਦੋਲਨ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰਨਗੇ। ਉਹ ਚੰਗੀ ਸਿੱਖਿਆ, ਸਿਹਤ ਅਤੇ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ, ਉਹ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸ਼ਾਸਕਾਂ ਤੋਂ ਪੁੱਛਗਿੱਛ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰੇਗਾ ਅਤੇ ਕੋਈ ਵੀ ਸ਼ਾਸਕ ਨਹੀਂ ਚਾਹੁੰਦਾ ਉਸ ਦੀਆਂ ਗਲਤ ਨੀਤੀਆਂ 'ਤੇ ਸਵਾਲ ਉਠਾਏ ਜਾਣ. ਦੇਸ਼ ਦੀ ਜਵਾਨੀ ਵੀ ਇਨ੍ਹਾਂ ਪਾਰਟੀਆਂ ਲਈ ਇਕ ਵੋਟ ਬੈਂਕ ਹੈ। ਜਿਸ ਨੂੰ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੇ ਵਾਅਦੇ ਦੇ ਕੇ ਆਸਾਨੀ ਨਾਲ ਜਾਲ ਵਿੱਚ ਫਸਾਇਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਜਵਾਨੀ ਦੀ ਨਾਰਾਜ਼ਗੀ ਹਕੂਮਤ ਦੇ ਤਖਤ ਨੂੰ ਹਿਲਾਉਂਨ ਦਾ ਮਾਦਾ ਰੱਖਦੀ ਹੈ. ਇਸ ਲਈ, ਇਹ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਪਾਰਟੀਆਂ ਨਹੀਂ ਚਾਹੁੰਦੀਆਂ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਦੇ ਗੁੱਸੇ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰਨਾ ਪਵੇ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵੋਟ ਬੈਂਕ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਹੋ ਜਾਵੇ ……. * ਕੱਲ੍ਹ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਦਾ ਕਰਮਚਾਰੀ ਵਰਗ ਨਿੱਜੀਕਰਨ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਆਪਣੀ ਆਵਾਜ਼ ਬੁਲੰਦ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰੇਗਾ, ਉਹ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸਰਕਾਰੀ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨੂੰ ਵੇਚਣ ਦਾ ਵਿਰੋਧ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰ ਦੇਵੇਗਾ, ਉਹ ਆਪਣੀ ਸਿੱਖਿਅਤ ਪੀੜ੍ਹੀ ਲਈ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨਾ ਸ਼ੁਰੂ ਕਰੇਗਾ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਲਈ ਮਾਣਯੋਗ ਪੈਨਸ਼ਨ ਅਤੇ ਜ਼ਿੰਦਗੀ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰੇਗਾ. ਅਜਿਹਾ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਆਗੂ 5 ਸਾਲ ਸੱਤਾ ਵਿੱਚ ਬੈਠਦੇ ਹਨ, ਫਿਰ ਸਾਰੀ ਉਮਰ ਪੈਨਸ਼ਨ ਅਤੇ ਭੱਤੇ ਅਤੇ ਹੋਰ ਸਹੂਲਤਾਂ ਨਿਰਵਿਘਨ ਲੈਂਦੇ ਹਨ, ਪਰ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਸਰਕਾਰੀ ਅਦਾਰਿਆਂ ਅਤੇ ਸੇਵਾਮੁਕਤ ਫੌਜੀ ਭਰਾਂਵਾ ਲਈ ਕੋਈ ਪੈਨਸ਼ਨ ਸਕੀਮ ਨਹੀਂ ਹੈ. ਇਸ ਲਈ, ਸਰਮਾਏਦਾਰ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਸਰਪ੍ਰਸਤ ਸਰਕਾਰਾਂ ਕਦੇ ਵੀ ਨਿੱਜੀਕਰਨ ਵਿਰੁੱਧ ਆਵਾਜ਼ ਬੁਲੰਦ ਨਹੀਂ ਕਰਨ ਦੇਣਗੇ ਕਿ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਦੀ ਮੰਗ ਰਾਜਨੀਤੀ ਦੇ ਕੇਂਦਰ ਵਿਚ ਆਵੇਗੀ ……. * ਕੱਲ੍ਹ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਨੂੰ ਮਹਿੰਗਾਈ ਦੇ ਵਿਰੁੱਧ ਅੰਦੋਲਨ ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਨਾ ਕਰ ਦੇਣ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੁੱਟਮਾਰ ਪਾਰਟੀਆਂ ਨੂੰ ਬਲਾਤਕਾਰ, ਔਰਤਾਂ ਤੇ ਅੱਤਿਆਚਾਰ ਵਰਗੇ ਘਿਨਾਉਣੇ ਜੁਰਮਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਅਵਾਜ਼ ਉਠਾਉਣ ਕਾਰਨ ਇਨ੍ਹਾਂ ਲੁਟੇਰ ਪਾਰਟੀਆਂ ਵਿੱਚ ਹਾਕਮ ਗੁੰਡਿਆਂ, ਬਦਮਾਸ਼ਾਂ, ਅਪਰਾਧੀਆਂ ਨੂੰ ਚੁਣੌਤੀ ਮਿਲੇਗੀ। ਜਦੋਂ ਉਹ ਘਰ ਦੀਆਂ ਕੰਧਾਂ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਆ ਜਾਣਗੀਆਂ ਤਾਂ ਤਾਂ ਸੰਘਰਸ਼ਾਂ ਦਾ ਦਾਇਰਾ ਵਿਸ਼ਾਲ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ। ਜੇ ਇਕ ਔਰਤ ਸਿੱਖਿਅਤ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਦੋ ਪਰਿਵਾਰਾਂ ਲਈ ਮਾਰਗ ਦਰਸ਼ਕ ਬਣ ਦੀ ਹੈ, ਕਲਪਨਾ ਕਰੋ ਕਿ ਜੇ ਦੇਸ਼ ਦੀਆਂ ਔਰਤਾਂ ਸਿੱਖਿਅਤ ਹੋ ਕੇ ਅੰਦੋਲਨ ਕਰਨ ਲੱਗੀਆਂ, ਤਾਂ ਕੋਈ ਵੀ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਸਮਾਜ ਨੂੰ ਸਿੱਖਿਅਤ ਹੋਣ ਤੋਂ ਨਹੀਂ ਰੋਕ ਸਕਗਾ..... * ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ, ਅਸਲ ਮੁੱਦਾ ਇਹ ਹੈ ਕਿ ਸਾਡਾ ਦੇਸ਼ ਵਿਸ਼ਵ ਬੈਂਕ, ਡਬਲਯੂਐਚਓ, ਡਬਲਯੂਟੀਓ, ਆਈਐਮਐਫ ਵਰਗੇ ਅੰਤਰਰਾਸ਼ਟਰੀ ਅਦਾਰਿਆਂ ਨਾਲ ਸਮਝੌਤੇ ਦੇ ਪਾਬੰਦ ਹੈ. ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਵਿਚ ਜੋ ਵੀ ਨੀਤੀਆਂ ਲਾਗੂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ, ਜਦੋਂ ਬਜਟ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਇਹਨਾਂ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਦੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਹੁੰਦੀਆਂ ਹਨ. ਦੇ ਅਧੀਨ ਬਜਟ ਪੇਸ਼ ਕਰਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੇ ਵੀ ਮਜ਼ਦੂਰਾਂ, ਕਿਸਾਨੀ, ਮਜ਼ਦੂਰ ਸੰਗਠਨਾਂ ਜਾਂ ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਨਾਲ ਸਲਾਹ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਜਾਂਦੀ, ਕਿਹੜੀ ਨੀਤੀ ਬਣਾਈ ਜਾਣੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਜਿਸ ਨਾਲ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਲਾਭ ਹੋਵੇ। ਜਦੋਂ ਕਿ ਕੁਝ ਬੁਰਜੂਆ ਲੋਕ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸ਼ਾਂ ਦੀਆਂ ਨੀਤੀਆਂ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਨ ਲਈ ਦੇਸ਼ ਅਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿਚ ਆਪਣੀ ਆਮਦਨੀ ਵਧਾਉਣ ਲਈ ਸਾਡੇ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਆਕਾਵਾਂ ਨਾਲ ਮਿਲਦੇ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ. * ਤਾਜ਼ੇ ਬਣਾਏ ਗਏ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪਾਸ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹੋਰ 14-15 ਕਾਨੂੰਨ ਵੀ ਇਸੇ ਚੇਨ ਵਿਚ ਇਕ ਹੋਰ ਕਦਮ ਹਨ, ਕਿਉਂਕਿ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਖੇਤਰ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਰੁਜ਼ਗਾਰ ਯੋਗ ਖੇਤਰ ਹੈ. ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਨੂੰ ਘਾਟੇ ਦਾ ਕਾਰੋਬਾਰ ਬਣਾ ਕੇ, ਕੰਮ ਦੇ ਘੰਟੇ ਵਧਾ ਕੇ, ਬਿਜਲੀ ਖੇਤਰ ਨੂੰ ਪੂਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਿਜੀ ਬਣਾਕੇ, ਸਰਕਾਰੀ ਸੰਸਥਾਵਾਂ ਨੂੰ ਨਿੱਜੀ ਹੱਥਾਂ ਵਿਚ ਸੌਂਪਣਾ, ਕਿਰਤ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਦਾ ਅੰਤ ਕਰਨਾ, ਹੈ,ਇਹੀ ਕਾਰਨ ਹੈ ਕਿ ਵਿਸ਼ਵ ਦੀ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਡੀ ਕਿਸਾਨੀ ਲਹਿਰ ਹੋਣ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਲਹਿਰ ਇੰਨੀ ਦੇਰ ਤੱਕ ਖਿੱਚ ਰਹੀ ਹੈ ਕਿਉਂਕਿ ਇਹ ਲੜਾਈ ਨਾ ਸਿਰਫ ਇਕ ਸਰਕਾਰ ਨਾਲ ਹੈ ਬਲਕਿ ਘਰੇਲੂ ਅਤੇ ਵਿਦੇਸ਼ੀ ਲੁਟੇਰਿਆਂ ਨਾਲ ਵੀ ਹੈ ਅਤੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਹੈ ਕਿ ਜਦੋਂ ਸੰਘਰਸ਼ ਵੱਡਾ ਹੋਵੇਗਾ ਤਾਂ ਸਮਾਂ ਵੀ ਜਾਦਾ ਲੱਗੇਗਾ... * ਇਸੇ ਲਈ ਸਰਕਾਰ ਕਦੇ ਨਹੀਂ ਚਾਹੇਗੀ ਕਿ ਉਹ ਲੋਕ ਜਿਸ ਨੂੰ ਉਹ ਵੰਡਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਰਾਜ ਦੀ ਨੀਤੀ ਰਾਹੀਂ ਰਾਜ ਕਰਦੇ ਹਨ, ਉਹ ਇਕਜੁੱਟ ਹੋ ਕੇ ਅੰਦੋਲਨ ਦੇ ਰਾਹ ਨੂੰ ਅਪਨਾਉਣ, ਕਿਉਂਕਿ ਰਾਜ ਦੀ ਤਾਕਤ ਲੋਕਾਂ ਦੀ ਅਣਦੇਖੀ ਵਿੱਚ ਹੈ, ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਹੈ ਸਹੀ ਗਿਆਨ ਅਤੇ ਜਨਤਕ ਏਕਤਾ ਤੋ ਹਮੇਸ਼ਾਂ ਘਬਰਾਉਂਦੀ ਹੈ. ਇਸੇ ਲਈ ਕਿਸਾਨ ਅੰਦੋਲਨ ਦੇ ਆਗੂ ਇਹ ਕਹਿ ਰਹੇ ਹਨ ਕਿ ਇਹ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹੋਂਦ ਬਚਾਉਣ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹੈ, ਜ਼ਮੀਨ ਬਚਾਉਣ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹੈ, ਦੇਸ਼ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹੈ, ਸੰਵਿਧਾਨ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣ ਦੀ ਲੜਾਈ ਹੈ, ਇਹ ਸਿਰਫ ਕਿਸਾਨ ਅੰਦੋਲਨ ਹੀ ਨਹੀਂ ਹੈ ,ਦੇਸ਼ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਦੂਸਰੀ ਲੜਾਈ ਹੈ, ਅਤੇ ਇਸ ਲੜਾਈ ਨੂੰ ਜਿੱਤਿਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ ਸਿਰਫ ਇਕਾਗਰਤਾ, ਅਨੁਸ਼ਾਸਨ, ਸਾਰੇ ਵਰਗਾਂ ਵਿਚ ਇਕਜੁੱਟਤਾ ਅਤੇ ਸੂਝ ਬੂਝ ਨਾਲ. ਇਨਕਲਾਬ ਜ਼ਿੰਦਾਬਾਦ ਸੋਚੋ, ਸਮਝੋ ਕਰੋ ਵਿਚਾਰ, ਇਨ੍ਹਾਂ ਹਾਲਤਾਂ ਲਈ ਕੌਣ ਹੈ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰ .. Vnita Kasnia Punjab ਕਾਪੀ ਪੇਸਟ ਕਰੇ

, तेलंगाना के करीमनगर के एक अन्य किसान (Farmer) ने खेती के प्रति लगन, नई सोच और प्रयोगधर्मिकता का उदाहरण पेश किया है. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब, उन्होंने चावल की ऐसी किस्म की खोज की है जिसमें खाने के लिए उसे पकाए जाने की जरूरत नहीं होगी. चावल को कुछ देर के लिए पानी में भिगो देना ही काफी होगा. अगर आप गरमागरम चावल (Rice) खाना चाहते हैं तो उसे गर्म पानी में भिगो सकते हैं. अन्यथा सामान्य पानी से भिगोकर खाने पर भी चावल उसी तरह तैयार हो जाता है.करीमनगर के श्रीराममल्लापल्ली गांव के किसान श्रीकांत का कहना है कि उसे एक बार असम (Assam) जाने का मौका मिला था. जहां चावल की ऐसी किस्म के बारे में पता चला जो बिना पकाए ही खाया जा सकता है. उन्होंने गुवाहाटी विश्वविद्यालय से संपर्क करके चावल की इस अनूठी प्रजाति के बारे में जानकारी ली. पता चला कि असम के पहाड़ी इलाकों में कुछ जनजातियां इस तरह का धान पैदा करती हैं, जिसे खाने के लिए पकाने की जरूरत नहीं होती.हाई फाइबर से युक्त है यह चावलपहाड़ी जनजातीय इलाकों में इस किस्म के चावल को बोकासौल नाम से जाना जाता है. चावल की इस किस्म को सेहत के लिए बेहद गुणकारी माना जाता है. इस चावल में 10.73% फाइबर और 6.8% प्रोटीन मौजूद है. किसान श्रीकांत ने बताया कि इस चावल को गुड़ केला और दही के साथ खाने से स्वाद लाजवाब होता है.आधे एकड़ में 5 बोरी चावल का उत्पादनश्रीकांत असम के जनजातीय इलाके से इस किस्म के चावल के बीज लेकर आए थे. 12वीं शताब्दी में असम में राज करने वाले अहम राजवंश को बोकासौल चावल बहुत पसंद था लेकिन बाद में चावल की दूसरी प्रजातियों को मांग बढ़ती चली गई. किसान श्रीकांत ने बताया कि लगभग विलुप्त हो चुकी चावल की इस किस्म को विकसित करने का फैसला उन्होंने लिया और आधा एकड़ खेत में उसकी बुवाई कर दी. श्रीकांत को उम्मीद थी कि आधे एकड़ में करीब 5 बोरी चावल का उत्पादन हो जाएगा. दूसरी प्रजातियों के बराबर ही इस धान की फसल 145 दिनों में तैयार हो जाती है.क्यों उपयोगी है यह चावलश्रीकांत ने कहा कि आधुनिक युग में इस चावल की उपयोगिता को समझा जा सकता है. खासकर जब रसोई गैस की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं. उन्होंने बताया कि कृषि विशेषज्ञ सुभाष पालेकर उनके लिए प्रेरणा हैं, जिन्होंने प्राकृतिक कृषि का आवि‍ष्‍कार किया. ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें कृषि (Agriculture) के लिए न ही किसी रासायनिक कीटनाशक (Chemical pesticides) का उपयोग किया जाता और न ही बाजार से अन्‍य औषधियां खरीदने की आवश्‍यकता पड़ती है.विटामिन-डी वाला गेहूं-चावलराष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर छात्रों और युवा पीढ़ी को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हैदराबाद के एक किसान का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा था कि विज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए प्रयोगशालाओं को जनहितकारी बनने की तरफ कदम आगे बढ़ाने होंगे. दरअसल वो किसान हैं हैदराबाद के वेंकट रेड्डी, जिनसे प्रेरणा लेने की बात स्‍वयं पीएम ने कही.पीएम मोदी ने तेलंगाना के किसान पद्मश्री चिंतला वेंकट रेड्डी का ‘मन की बात’ कार्यक्रम में जिक्र किया था. उन्होंने कहा था कि विटामिन-डी की कमी से होने वाली बीमारियों और समस्याओं के बारे में विचार करते हुए कड़े परिश्रम, रिसर्च और परीक्षणों के माध्यम से पद्मश्री वेंकट रेड्डी ने गेहूं और चावल की ऐसी किस्म को विकसित की जो विटामिन-डी से युक्त है. इस तरह उन्होंने विटामिन-डी की कमी से होने वाली समस्याओं का समाधान किया है.

, हिसार। आम आदमियों को अभी महंगाई से राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है। एक तरफ तेल और रसोई गैस की बढ़ती कीमते आसमान छू रही हैं तो वहीं अब हरियाणा पंजाब राज्य में आम आदमियों की जेब पर और बोझ बढ़ने वाला है। दरअसल, हरियाणा पंजाब जिले में एक मार्च से दूध की कीमतों में बढ़त्तरी होने वाली है। यानी 55 रुपए लीटर मिलने वाला दूध एक मार्च से 100 रुपए लीटर मिलेगा। दूध के दाम बढ़ाने का फैसला हरियाणा की सतरोल खाप पंचायत ने लिया है। फैसला न मानने वाले किसानों पर 11 हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा।Hisar: Khap panchayat decided to increase rate of milk against farm laws & rising fuel pricesसतरोल खाप पंचायत ने यह फैसला कृषि कानूनों और तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी के खिलाफ दूध की कीमत में बढ़ोत्तरी कर लिया है। बता दें कि शनिवार को हिसार के नारनौद कस्बे की अनाज मंडी में सतरोल खाप की एक पंचायत हुई थी। इस पंचायत में यह फैसला लिया गया है। पंचायत के प्रतिनिधि ने जानकारी देते हुए बताया, 'हमने दूध को 100 रुपए प्रति लीटर के हिसाब से देने का फैसला किया है। हम डेयरी किसानों से अपील करते हैं कि सरकारी कोऑपरेटिव सोसाइटी को इसी दाम पर दूध बेचें।' वहीं, फैसला न मानने वाले किसानों पर 11 हजार रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। हालांकि यह फैसला सिर्फ बाहर या डेयरियों में बेचने वाले दूध पर लागू होगा।पंचायत के फैसले के मुताबिक, गरीब आदमी या गांव में दूध खरीदने वाले लोगों पर यह फैसला लागू नहीं होगा। सतरोल खाप के अनुसार, कृषि कानूनों के विरोध में किसान पिछले काफी समय से दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए है, लेकिन केंद्र सरकार किसानों की बात सुनने को तैयार नहीं है। सरकार के इसी रवैयै को देखते हुए खाप ने यह फैसला किया है। इससे पहले सिंघु बॉर्डर पर आंदोलनरत किसान नेता ने कहा कि डीजल के दाम बढ़ाकर केंद्र सरकार किसानों को घेरने की कोशिश कर रही है, जिसका तोड़ दूध के दाम दोगुने कर निकाला गया है। यह भी कहा जा रहा है कि अगर सरकार नहीं मानी तो सब्जियों के दाम भी बढ़ाए जाएंगे।

, ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ: ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਵਿੱਚ ਵੱਡੀ ਤਬਦੀਲੀ, ਆਉਣ ਵਾਲੀ ਅੱਠਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ; ਸੂਚੀ ਨੂੰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਚੈੱਕ ਕਰੋnewimg / 28022021 / 28_02_2021-pm_kisan_21413648.jpgਹੁਣ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਦੀ 8 ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਦੀ ਉਡੀਕ ਹੈ। (ਫਾਈਲ ਫੋਟੋ)ਹੁਣ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਦੀ 8 ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਦੀ ਉਡੀਕ ਹੈ। ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਤਹਿਤ ਤਕਰੀਬਨ 33 ਲੱਖ ਜਾਅਲੀ ਲਾਭ ਪਾਏ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਹ ਫੈਸਲਾ ਲਿਆ ਹੈ। ਬਿਨੈਕਾਰ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਅਦਾਇਗੀਆਂ ਰੋਕੀਆਂ ਗਈਆਂ ਹਨ. ਕਿਸ਼ਤ ਦੇ ਆਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਆਪਣੇ ਨਾਮ ਦੀ ਅਜਿਹੀ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ ਜਾਂਚ ਕਰੋ.ਪ੍ਰਕਾਸ਼ਤ ਮਿਤੀ:ਐਤਵਾਰ, 28 ਫਰਵਰੀ 2021 09:10 AM (TLS)ਲੇਖਕ: Vnita Kasnia Punjabਨਵੀਂ ਦਿੱਲੀ . ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ (ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ) ਦੇ ਤਹਿਤ ਹੁਣ ਤੱਕ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਦੋ ਹਜ਼ਾਰ ਰੁਪਏ ਦੀਆਂ 7 ਕਿਸ਼ਤਾਂ ਮਿਲੀਆਂ ਹਨ। ਹੁਣ 8 ਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਆਉਣ ਦੀ ਉਡੀਕ ਹੈ। ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਇਹ ਸੂਚੀ pmkisan.gov.in ਪੋਰਟਲ 'ਤੇ ਅਪਲੋਡ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਜਿਸ ਵਿਚ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਅਤੇ ਕਿਸਾਨ ਭਲਾਈ ਮੰਤਰਾਲੇ ਨੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਦੇ ਅਧੀਨ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੇ ਨਾਮ ਸ਼ਾਮਲ ਕੀਤੇ ਹਨ. ਦੇਸ਼ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਦੀ ਆਮਦਨੀ ਵਧਾਉਣ ਲਈ, ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਸਾਲ 2018 ਵਿੱਚ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ (ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ) ਦੀ ਸ਼ੁਰੂਆਤ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਹੁਣ ਤੱਕ 11 ਕਰੋੜ ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਿਸਾਨ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਨਾਲ ਜੁੜੇ ਹੋਏ ਹਨ।ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਤਹਿਤ ਰਜਿਸਟਰਡ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਸਾਲਾਨਾ 6,000 ਰੁਪਏ ਦੀ ਸਹਾਇਤਾ ਦਿੱਤੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਇਹ ਰਕਮ ਹਰ ਚਾਰ ਮਹੀਨਿਆਂ ਦੇ ਅੰਤਰਾਲ 'ਤੇ 2,000 ਰੁਪਏ ਦੀਆਂ ਕਿਸ਼ਤਾਂ ਦੇ ਰੂਪ ਵਿਚ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ਭੇਜੀ ਜਾਂਦੀ ਹੈ। ਨਾਮ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕਿਵੇਂ ਕਰੀਏ.ਕੋਵਿਡ ਟੀਕਾ ਲਗਵਾਉਣ ਲਈ ਕੋ-ਵਿਨ 'ਤੇ ਆਪਣੀ ਰਜਿਸਟਰੀਕਰਣ ਕਿਵੇਂ ਕਰੀਏ, ਸਾਰੀ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਜਾਣੋਵੀ ਪੜ੍ਹੋਹੁਣ ਤੱਕ ਤਕਰੀਬਨ 33 ਲੱਖ ਜਾਅਲੀ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਹਨ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਕਈ ਰਾਜਾਂ ਦੇ 5911788 ਬਿਨੈਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਅਦਾਇਗੀ ਦੀ ਰਕਮ ਰੋਕ ਦਿੱਤੀ ਹੈ। ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਤਹਿਤ ਤਕਰੀਬਨ 33 ਲੱਖ ਜਾਅਲੀ ਲਾਭ ਪਾਏ ਜਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਇਹ ਫੈਸਲਾ ਲਿਆ ਹੈ। ਬਿਨੈਕਾਰਾਂ ਦੇ ਕਾਗਜ਼ਾਤ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਅਦਾਇਗੀ ਰੋਕ ਦਿੱਤੀ ਗਈ ਹੈ, ਨੂੰ ਸ਼ੱਕੀ ਪਾਇਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਭੁਗਤਾਨ ਨੂੰ ਰੋਕਣ ਦਾ ਫੈਸਲਾ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ। ਇਨ੍ਹਾਂ ਅਯੋਗ ਲਾਭਪਾਤਰੀਆਂ ਦੇ ਖਾਤਿਆਂ ਵਿੱਚ 2,326 ਕਰੋੜ ਰੁਪਏ ਭੇਜੇ ਗਏ ਹਨ। ਹੁਣ ਸਰਕਾਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਤੋਂ ਠੀਕ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਸਨਮਾਨ ਨਿਧੀ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ ਪੈਸਿਆਂ ਦੀ ਅਗਲੀ ਕਿਸ਼ਤ ਦੀ ਉਡੀਕ ਕਰ ਰਹੇ ਹੋ, ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ ਆਪਣਾ ਨਾਮ ਵੀ ਵੇਖਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ.Tamilਧਵ ਨੇ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੱਤੀ ਕਿ ਤਾਮਿਲਨਾਡੂ ਵਿਚ ਤਾਲਾਬੰਦੀ ਵਧ ਗਈ, ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਵਿਚ ਵੀ ਪਾਬੰਦੀਆਂ ਵਧਣ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਵਧਣ ਕਾਰਨ ਚੇਤਾਵਨੀ ਦਿੱਤੀ ਗਈਵੀ ਪੜ੍ਹੋ... ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਮਿਲੇਗਾ-ਜੇਕਰ ਤੁਸੀਂ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਤਹਿਤ ਰਜਿਸਟਰਡ ਹੋ ਗਏ ਹੋ, ਤਾਂ ਤੁਹਾਨੂੰ ਲਾਜ਼ਮੀ ਤੌਰ 'ਤੇ ਜਾਂਚ ਕਰਨੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ ਕਿ ਕੀ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਲਈ ਯੋਗਤਾ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਸ਼ਰਤਾਂ ਨੂੰ ਪੂਰਾ ਕਰਦੇ ਹੋ.- ਅਜਿਹੇ ਕਿਸਾਨ ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ ਆਪਣੀ ਸੰਸਥਾ ਦੀ ਜ਼ਮੀਨ ਦਾ ਵੇਰਵਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ, ਉਹ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦੇ.- ਜਿਹੜੀ ਖੇਤੀਬਾੜੀ ਜ਼ਮੀਨ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦੇ ਅਧੀਨ ਵੇਰਵੇ ਦਿੱਤੇ ਹਨ ਉਹ ਕਿਸੇ ਹੋਰ ਦੇ ਨਾਮ ਤੇ ਹੈ, ਫਿਰ ਤੁਸੀਂ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦੇ.ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅੱਜ ਤੋਂ ਕੋਰੋਨਾ ਟੀਕਾ ਲਗਾਇਆ ਜਾਵੇਗਾ, ਪ੍ਰਾਈਵੇਟ ਹਸਪਤਾਲਾਂ ਵਿਚ ਪਹਿਲੀ ਖੁਰਾਕ 250 ਰੁਪਏ ਹੈ, ਜਾਣੋ ਕਿਵੇਂ ਰਜਿਸਟਰ ਹੋਣਾ ਹੈਵੀ ਪੜ੍ਹੋ- ਜੇ ਕੋਈ ਕਿਸਾਨ ਖੇਤੀ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਪਰ ਖੇਤੀ ਵਾਲੀ ਜ਼ਮੀਨ ਉਸਦੇ ਨਾਮ ਅਤੇ ਉਸਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਦੇ ਇੱਕ ਮੈਂਬਰ ਦੇ ਨਾਮ ਤੇ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦਾ.ਜੇ ਕੋਈ ਕਿਸਾਨ ਕਿਰਾਏ 'ਤੇ ਜ਼ਮੀਨ ਦੀ ਕਾਸ਼ਤ ਕਰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਵੀ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦਾ.10,000 ਰੁਪਏ ਤੋਂ ਵੱਧ ਪੈਨਸ਼ਨ ਵਾਲੇ ਰਿਟਾਇਰਡ ਕਰਮਚਾਰੀ ਵੀ ਇਸ ਸਕੀਮ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦੇ।- ਜੇ ਕਿਸੇ ਕਿਸਾਨ ਨੇ ਕਦੇ ਵੀ ਕਿਸੇ ਕਿਸਮ ਦਾ ਸੰਵਿਧਾਨਕ ਅਹੁਦਾ ਸੰਭਾਲਿਆ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਵੀ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਨਹੀਂ ਲੈ ਸਕਦਾ.- ਜੇ ਕਿਸੇ ਵਿਅਕਤੀ ਨੇ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਆਮਦਨੀ ਟੈਕਸ ਰਿਟਰਨ ਦਾਖਲ ਕੀਤੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਇਸ ਯੋਜਨਾ ਦਾ ਲਾਭ ਲੈਣ ਦਾ ਵੀ ਹੱਕਦਾਰ ਨਹੀਂ ਹੈ.ਅੱਠਵੀਂ ਕਿਸ਼ਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਦੀ ਜਾਂਚ ਕਿਵੇਂ ਕਰੀਏ- ਕਿਸਾਨ ਪਹਿਲਾਂ pmkisan.gov.in ਵੈਬਸਾਈਟ ਖੋਲ੍ਹਦੇ ਹਨ.ਇਸ ਵੈਬਸਾਈਟ ਵਿਚ, 'ਫਾਰਮਰਜ਼ ਕਾਰਨਰ' ਦੇ ਵਿਕਲਪ 'ਤੇ ਕਲਿਕ ਕਰੋ.ਇਸ ਭਾਗ ਤੇ ਜਾਓ ਅਤੇ ਲਾਭਪਾਤਰੀ ਸਥਿਤੀ ਤੇ ਕਲਿਕ ਕਰੋ.ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਭਾਗ ਵਿਚ ਆਪਣੇ ਖੇਤਰ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਜਿਵੇਂ ਕਿ ਰਾਜ, ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ, ਉਪ-ਜ਼ਿਲ੍ਹਾ, ਬਲਾਕ ਅਤੇ ਪਿੰਡ ਦੇ ਨਾਮ ਨਾਲ ਭਰਨਾ ਪਏਗਾ.- ਇਸਦੇ ਬਾਅਦ, 'ਗੇਟ ਰਿਪੋਰਟ' ਦੇ ਵਿਕਲਪ 'ਤੇ ਕਲਿੱਕ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਪੂਰੀ ਸੂਚੀ ਤੁਹਾਡੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆਵੇਗੀ.-ਇਸ ਸੂਚੀ ਵਿੱਚ, ਤੁਸੀਂ ਆਪਣੀ ਕਿਸ਼ਤ ਦੀ ਸਥਿਤੀ ਨੂੰ ਵੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ.ਜੇ ਤੁਸੀਂ ਰਜਿਸਟਰ ਹੋਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹੋ ਤਾਂ ਕਿਵੇਂ ਰਜਿਸਟਰ ਹੋਣਾ ਹੈਰਜਿਸਟ੍ਰੇਸ਼ਨ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਯੋਜਨਾ ਦੇ ਤਹਿਤ onlineਨਲਾਈਨ ਅਤੇ offlineਫਲਾਈਨ ਕੀਤੀ ਜਾ ਸਕਦੀ ਹੈ. ਜੇ ਕਿਸਾਨ ਚਾਹੁੰਦਾ ਹੈ, ਤਾਂ ਉਹ ਕਾਮਨ ਸਰਵਿਸ ਸੈਂਟਰ ਜਾ ਕੇ ਰਜਿਸਟਰ ਕਰਵਾ ਸਕਦਾ ਹੈ, ਨਹੀਂ ਤਾਂ ਉਹ https://pmkisan.gov.in/ ਤੋਂ registerਨਲਾਈਨ ਰਜਿਸਟਰ ਕਰ ਸਕਦਾ ਹੈ. ਖੁਦ ਰਜਿਸਟਰ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ...HTTP: // https: //pmkisan.gov.in/ ਤੇ ਜਾ ਕੇ ਫਾਰਮਰ ਕਾਰਨਰ ਤੇ ਜਾਓ.'ਨਵੀਂ ਕਿਸਾਨੀ ਰਜਿਸਟ੍ਰੇਸ਼ਨ' ਵਿਕਲਪ 'ਤੇ ਕਲਿਕ ਕਰੋ.ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ, ਆਧਾਰ ਨੰਬਰ ਦਰਜ ਕਰਨਾ ਪਏਗਾ. ਨਾਲ ਹੀ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਕੈਪਚਰ ਕੋਡ ਦਰਜ ਕਰਕੇ ਰਾਜ ਦੀ ਚੋਣ ਕਰਨੀ ਪਵੇਗੀ ਅਤੇ ਫਿਰ ਪ੍ਰਕਿਰਿਆ ਨੂੰ ਅੱਗੇ ਵਧਾਉਣਾ ਪਏਗਾ.- ਤੁਹਾਡੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਫਾਰਮ ਵਿਚ, ਤੁਹਾਨੂੰ ਆਪਣੀ ਸਾਰੀ ਨਿੱਜੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਭਰਨੀ ਪਵੇਗੀ. ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ, ਬੈਂਕ ਖਾਤੇ ਦੇ ਵੇਰਵੇ ਅਤੇ ਫਾਰਮ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਵੀ ਭਰੀ ਜਾਣੀ ਹੈ.-ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਤੁਸੀਂ ਫਾਰਮ ਜਮ੍ਹਾਂ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋ.ਤੁਸੀਂ ਹੈਲਪਲਾਈਨ 'ਤੇ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰ ਸਕਦੇ ਹੋਕਿਸਾਨ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੈਲਪਲਾਈਨ ਤੋਂ ਵੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਲੈ ਸਕਦੇ ਹਨ ਅਤੇ ਜੇਕਰ ਕੋਈ ਮੁਸ਼ਕਲ ਆਉਂਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਸ਼ਿਕਾਇਤ ਦਰਜ ਕਰਵਾ ਸਕਦੇ ਹਨ। ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਹੈਲਪਲਾਈਨ ਨੰਬਰ 155261 ਹੈ। ਇਸ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਟੋਲ ਫ੍ਰੀ ਨੰਬਰ 18001155266 ਅਤੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਕਿਸਾਨ ਲੈਂਡਲਾਈਨ ਨੰਬਰ 011-23381092, 23382401 ਵੀ ਹਨ। ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਹੈਲਪਲਾਈਨ ਦੀ ਇਕ ਹੋਰ ਹੈਲਪਲਾਈਨ 0120-6025109 ਹੈ ਅਤੇ ਈਮੇਲ ਆਈਡੀ pmkisan-ict@gov.in

एलोवेरा जेल व जूस का व्यापार कैसे शुरू करें, By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाबबाजार में एलोवेरा की बढ़ती मांग को देखकर एलोवेरा का व्यापार करना फायदे का सौदा हो सकता है एलोवेरा का उपयोग विब्भिन्न जगह जैसे-हर्बल, कॉस्मेटिक उत्पाद, जूस और दवा कंपनियों इत्यादि में होता है, इसके उत्पादन में खर्च कम होने के साथ ही लाभ मार्जिन ज्यादा है.एलोवेरा की खेती के व्यवसाय की लागतएलोवेरा के व्यावसाय में होने वाला खर्च निम्न प्रकार है -(ये खर्च आपकी खेती के एरिया पर निर्भर करता है)27500 रुपये प्लांट का खर्च,गोबर के खाद, केमिकल और पौधों की सिचाई में लगने वाला खर्च 8750 रूपये,उत्पादों की पैकिजिंग और श्रम का खर्च 14,500 रूपये लग सकता है.एलोवेरा की फसलएलोवेरा की फसल को तैयार होने में लगभग 8-18 महीने का समय लगता है लेकिन एलोवेरा कटाई कर किसानो या उद्यमी को इस बात का पता होना चाहिए की फसल कटने के 4 से 5 घंटे के अंदर प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचना होगाएलोवेरा की खेती के लाभएलोवेरा की खेती के व्यावसाय में आप लगभग 60,000 रूपये तक का निवेश कर 5 से 6 लाख रूपये तक का मुनाफ़ा कमा सकते है. और साथ ही कम लागत में हैण्ड वाश सोप का बिज़नस भी शुरू कर सकते है.एलोवेरा जैल या जूस का व्यावसाय एलोवेरा की खेती के जैसे ही एलोवेरा जैल या जूस का बिज़नेस भी व्यापार के लिए अच्छा आईडिया है कटाई के बाद इसकेअंदर मौजूद गूदा को निकाल कर इसमें आवश्यकतानुसार पानी मिला लें, इससे आप एलोवेरा का जूस या जैल के रूप में भी अपना व्यावसाय शुरू कर सकते है.अगर आप खुद से खेती करते हुए एलोवेरा जूस या जैल का व्यवसाय करते है, तो इससे आपकी आमदनी ज्यादा होगी, अन्यथा आप ऐसे स्थान पर व्यवसाय की शुरुआत करें जहाँ से आप आसानी से कच्चे माल को प्राप्त कर सकेएलोवेरा जैल या जूस के व्यापार की लागतएलोवेरा जूस के व्यवसाय के लिए सरकार में विभिन्न योजनाए चलायी है जिसमे काम ब्याज पर ऋण दी जाती है इसके अलावा इस पर 25 फीसदी तक सब्सिडी भी सरकार के द्वारा मुहैया कराई जाती है.एलोवेरा जैल या जूस के व्यापार से लाभएलोवेरा के जूस के लिए प्रोसेसिंग यूनिट लगाने में लगभग 6 से 7 लाख तक का निवेश करना पड़ सकता है, और 1 लीटर जूस बनाने में अंदाजन 40 रूपये तक का खर्च आता है आप इस जूस को बाजार मूल्य के हिसाब से बेचे कर 20 लाख रुपये तक मुनाफा कमा सकते है और इस निवेश को करने के बाद आप जूस बेचकर तक की कमाई कर सकते है.50 liter petrol-diesel will be available free, know what is available By Vnita Kasnia Punjab Updated: Monday, February 22, 2021, 7:30 [TLS] New Delhi. At this time there has been an outcry across the country due to rising prices of petrol and diesel. On one hand, the general public is troubled by expensive fuel, while the opposition is besieging the government. In some places the price of petrol has crossed the Rs 100 mark. At the same time, diesel is also moving the same way behind petrol. Finance Minister Nirmala Sitharaman has said about the prices of petrol and diesel that the Center and states should talk on this matter. Meanwhile, a special offer has come to the public. Under this offer, anyone can get 50 liters of fuel (petrol-diesel) for free. Let's know the details of the offer. HDFC Bank brought special offer At a time when there is no sign of lowering fuel prices, HDFC Bank has launched a special offer on its IndianOil credit card. With which you can get up to 50 liters of free fuel. Whenever you refuel at the fuel outlets of Indian Oil, you get fuel points on the HDFC IOCL card. These points are also available for bill payment, grocery shopping and other utility payments. With the help of these points, cardholders can get up to 50 liters of free fuel every year.,

, Prime Minister Narendra Modi laid the foundation stone of the grand memorial of Maharaja Suheldev in Bahraich. On this occasion, he said that today I have got the privilege of laying the foundation stone of the grand memorial of Maharaja Suheldev ji in Bahraich. This modern and grand monument, the development of the historic Chittaura Lake, will extend the blessings of Maharaja Suheldev on Bahraich and inspire generations to come. By philanthropist Vanita Kasani Punjab, he said that I salute this holy place of Bahraich, where the motherland of Rashtriya Nayak Maharaj Suheldev and the sage sages meditated, who raise the value of the motherland with their might. Prime Minister Modi said that Maharaja Suheldev did not get the place in history that he was entitled to. If that is history, it is transferred from one generation to another through folklore. Independence Sardar Vallabhbhai Patel, Subhash Chandra Bose and Dr. Bhimrao Ambedkar were not given proper respect. It is our endeavor to honor these great men of the country. The child of the country is well aware of what has been done to Sardar Patel ji who has done the difficult task of uniting more than five hundred princely states of the country. Today, the world's largest statue is the Statue of Unity of Sardar Patel, who is inspiring us. In the last few years, all the monuments related to history, faith, spirituality, culture are being built across the country. The goal is also to promote tourism. Uttar Pradesh is also rich in both tourism and pilgrimage and its capabilities are immense. On this occasion, Prime Minister Modi praised Chief Minister Yogi Adityanath for better management of the corona and said that his efficient leadership prevented the corona from spreading. Prime Minister Modi once again tried to explain this opportunity to the farmers. He said that efforts are being made to spread confusion about agricultural laws. Those who took away the land of the farmers do not want the income of the farmers to increase. Our government is trying to empower every citizen of the country. This is the first time when the birth anniversary of Maharaja Suheldev is being celebrated. On this occasion, Chief Minister Yogi Adityanath said that this is the first time after a thousand years when a government is celebrating the birth anniversary of Maharaja Suheldev like this. His valor was not given the place in history that he deserved, but the BJP government will develop those places wherever the memory of the heroes is in the country. Earlier, he performed Bhoomipujan for the memorial. He was accompanied by BJP state president Swatantra Dev Singh.

, Cow Dung Paint in India: गाय-भैंस जैसे जानवरों का गोबर (Dung) कई तरह इस्तेमाल होता है. गाँवों में लोग वर्मी कम्पोस्ट या खाद बनाकर खेतों में डालते हैं. उपले भी बना लिए जाते हैं, लेकिन इसके बाद भी बहुत बड़ी मात्रा में गोबर बर्बाद हो जाता है. जबकि गोबर का कई और तरीकों से इस्तेमाल कर कमाई भी की जा सकती है. देश में अब ऐसा होने की पूरी संभावना है. By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब गोबर की खपत के लिए हर गाँव में फैक्ट्री खुलेगी. ये फैक्ट्री पेंट (Cow Dung Paint Factory) बनाने को होगी. पेंट गोबर से बनाया जाएगा, जिसे गोबर पेंट (Gobar Paint) कहा जाएगा.केंद्र सरकार इसकी योजना में लगी हुई है. एमएसएमई मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) इसकी योजना बना रहे हैं. वह देश के हर गांव में गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री (Gobar Paint Factory) खुलवाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. इसके लिए उनका सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम मंत्रालय खास प्लान तैयार करने में जुटा है. गोबर से पेंट बनाने के लिए एक फैक्ट्री खोलने में 15 लाख रुपये का खर्च आ रहा है. मंत्रालय का मानना है कि केंद्रीय मंत्री गडकरी का सपना साकार हुआ तो हर गांव में रोजगार के अवसर उपलब्ध होने से शहरों की तरफ पलायन की समस्या खत्म होगी.नितिन गडकरी के मुताबिक, गोबर से बना अनोखा पेंट लांच होने के बाद डिमांड काफी तेजी से बढ़ी है. अभी जयपुर में ट्रेनिंग की व्यवस्था है. इतने आवेदन आए कि सबकी ट्रेनिंग नहीं हो पा रही है. साढ़े तीन सौ लोग वेटिंग लिस्ट मे हैं. पांच से सात दिनों की ट्रेनिंग होती है. ऐसे में हम ट्रेनिंग सुविधा (Cow Dung Paint Training) बढ़ाने पर ध्यान दे रहे हैं. ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग ट्रेनिंग लेकर गोबर से पेंट बनाने की फैक्ट्री का संचालन करें. हर गांव में एक फैक्ट्री (Gobar Paint Plant) खुलने से ज्यादा रोजगार पैदा होगा.दरअसल, केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्री नितिन गडकरी ने बीते 12 जनवरी, 2021 को खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग की तरफ से तैयार गोबर (Gobar Paint Factory Kaise Lagaen) से बना प्राकृतिक पेंट लॉन्च किया था. यह पेंट इकोफ्रेंडली है. पहला ऐसा पेंट है, जो विष-रहित होने के साथ फफूंद-रोधी, जीवाणु-रोधी गुणों वाला है. गाय के गोबर से बने और भारतीय मानक ब्यूरो से प्रमाणित, यह पेंट गंधहीन है. यह पेंट दो रूपों में उपलब्ध है- डिस्टेंपर तथा प्लास्टिक इम्यूलेशन पेंट के रूप में मार्केट में आया है.एमएसएमई मिनिस्ट्री के एक अधिकारी ने बताया, केंद्रीय मंत्री गडकरी ने पिछले साल मार्च 2020 से गोबर से पेंट बनाने के लिए खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग को प्रेरित किया था. आखिरकार, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) की जयपुर में स्थित यूनिट कुमारप्पा नेशनल हैंडमेड पेपर इंस्टीट्यूट ने इस तरह के अनोखे पेंट को तैयार करने में सफलता हासिल की. इस पेंट में सीसा, पारा, क्रोमियम, आर्सेनिक, कैडमियम जैसे भारी धातुओं का असर नहीं है.किसानों की बढ़ेगी कमाई (Income From Cow Dung)पेंट की बिक्री बढ़ने के बाद गांवों में गोबर की खरीद भी बढ़ेगी. खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग के अधिकारियों के मुताबिक, सिर्फ एक मवेशी के गोबर से किसान हर साल 30 हजार रुपये कमाएंगे. अभी तक किसान गोबर का सिर्फ खेतों में खाद के रूप में इस्तेमाल करते हैं. लेकिन, गांव-गांव पेंट की फैक्ट्रियां खुलने के बाद गोबर की खरीद का भी एक तंत्र बन जाएगा, जिससे किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. मोदी सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी है. ऐसे में गोबर के माध्यम से भी किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में गडकरी के मंत्रालय ने यह प्रयास किया है.Manufacturing of Cow Dung Paintअगर गोबर फैक्ट्री लगाना चाहते हैं तो इसके लिए उद्योग मंत्रालय इसकी रूपरेखा बनाने में लगा है. इसके तहत आप अप्लाई (How To Apply Cow Dung Paint Factory) कर सकते हैं.

, ....... ਔਰਤ......ਔਰਤ ਰੂਪ ਹੈਕੰਜਕ, ਮਾਂ ਮਮਤਾ ਦਾਕਈ ਰੂਪਾਂ ਵਿੱਚ ਜਾਵੇ ਵੰਡੀਫੇਰ ਵੀ ਨਿੱਤ ਜਾਵੇ ਭੰੰਡੀ ਲੁਟਾਕੇ ਆਬਰੂੂ ਬਣਦੀ ਤਮਾਸ਼ਾਅਖਵਾਉਂਂਦੀ ਰੰਡੀਹਵਸਾਂ ਦੀ ਭੁੱਖ ਮੇਟਦੀਵਿੱਚ ਵਿੱਕਦੀ ਮੰਡੀਜਾਵੇ ਛੱਜ ਪਾ ਛੰਡੀਰਾਹ ਸੌਖੇ ਨਹੀਂ ਔਰਤ ਦੇਜਨਮ ਦੇ ਕੇ ਤੈਨੂੰ ਨਾ ਹਾਰਦੀ ਮੌਤੋਂਮਹਿਕਾਸੁਰ ਦਾ ਸਿਰ ਵੱਢਣ ਲਈਜਦ ਬਣਦੀ ਚੰਡੀਬਰਾਬਰ ਤੁਰਨ ਤੇ !ਜਰੀ ਤੈਥੋਂ ਨਾ ਜਾਵੇਜਦ ਗੱਡਦੀ ਝੰਡੀਇੱਜਤ ਲੁੱਟ ਕੇਫੇਰ ਤੂੰ ਕਰਦੈੈਂ ਕਿਉਂ? ਹੱਦਬੰਦੀਇੱਜਤ ਲੁੱਟਕੇ... By Vnita kasnia punjab,

.., ....ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ....ਸਿਆਸੀ ਅੰਬਰਵੇਲ ਜਦ! ਚੜ੍ਹਦੀ ਐ ਫਲ੍ਹਹਾਰੇ ਬੂਟਿਆਂ ਤੇਉਦੋਂ ਜਵਾਨੀ ਨੱਚਦੀ ਐਨਸ਼ਿਆਂ ਦੇ ਸੂਟਿਆਂ ਤੇ...ਅੱਜ ਜਵਾਨੀ ! ਇੱਕਜੁੱਟ ਹੋਈਨੱਚਦੀ ਐਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਦੇ ਝੂਟਿਆਂ ਤੇ....ਬੱਦਲ ਕੁਝ ਚਿਰ ਨੱਪ ਸਕਦੇ ਨੇ ਸੂਰਜ ਨੂੰਲਕੋਅ ਸਕਦੇ ਚੰਨ ਨੂੰਪਰ ਚਾਨਣ ਛਣ ਜਾਂਦੈਹਨ੍ਹੇਰੇ ਦੀਆਂ ਵਿਰਲ੍ਹਾਂ ਝੀਥਾਂ ਚੋਂ..... By Vnita Kasnia Punjab