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क्या बिल्कुल कमजोर हो गई आंतों को दोबारा स्वस्थ किया जा सकता है, यदि हाँ तो इसके क्या उपाय हैं?By वनिता कासनियां पंजाब ;रोजाना 2 किलोमीटर रनिंग करिए 1 किलोमीटर पैदल चलिए।रात में खाने के आधा घंटा बाद 2 किलो मीटर पैदल चलना है।गरम या गुनगुना पानी ही लीजिए।कोई भी दवा ना लीजिए।जंक फूड 1 महीने के लिए छोड़ दें।प्रथम सप्ताह में डेयरी प्रोडक्ट्स से भी दूरी बनाएं।खाने के साथ सलाद खाना चालू कर दें।रोज़ 1 प्लेट मिक्स फल खाइए।1 महीने में आतें दुरुस्त हो जाएंगी, लेकिन यह दिनचर्या बनाए रखियेगा, थोड़ा रिलैक्स ज़रूर कर सकते हैं।

वास्तु घर बनाने का तरीका: By बाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की अध्यक्ष श्रीमती वनिता कासनियां पंजाबGhar Banane Ka Tarikaअपना खुद का घर बनाने का सभी का सपना होता है, अगर देखा जाए तो एक इंसान अपनी जिंदगी में केवल एक बार घर बना सकता है. इसलिए घर बनाने का तरीका ऐसा होना चाहिए कि हमारी सभी आवश्यकता पूरी हो जाए और पैसे भी कम लगे.घर बनाने के लिए जितने भी निर्णय ले सभी विचार विमर्श और पूरी जानकारी के बाद ही लेना चाहिए. सस्ता बजट में घर बनाने के लिए हमें कुछ तरीकों को अपनाना चाहिए इसके लिए आपको कुछ रिसर्च करनी पड़ सकती है. यहाँ मैं आपके रिसर्च में मदद करने वाला हूं, आपको बस इस पोस्ट को पूरी पढ़नी है और अच्छी तरह से समझना है.यहाँ मैं आपको सभी स्टेप्स एक एक करके बता रहा हूँ. इन सभी स्टेप्स के साथ मैंने कुछ विशेष बातों का जिक्र किया हैं, आप उन सभी बातों का विशेष ध्यान रखे.घर के लिए प्लॉट तैयार करेंगांव हो या शहर अपना घर बनाने के लिए एक प्लॉट की जरूरत होती है. भविष्य और वर्तमान की आवश्यकताओं को देखते हुए प्लॉट का चयन करें, प्लॉट को तैयार करने के लिए कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए.प्लॉट का टाइटल पूरी तरह से क्लियर होना चाहिए.प्लॉट की रजिस्ट्री पूरी होनी चाहिए या पावर ऑफ अटॉर्नी बनवाई हुई होनी चाहिए.प्लॉट एरिया के साथ कोई पारिवारिक या सीमा विवाद नहीं होना चाहिए.प्लॉट रजिस्ट्री के सभी ओरिजिनल दस्तावेजों को अपने साथ सुरक्षित रख ले.प्लॉट के तैयार हो जाने पर ही अगले कदम की तरह बढ़ना चाहिए.1 43 और 53 ग्रेड सीमेंट के बीच का अंतर – difference between 34 and 53 gradeघर का बाहरी डिजाइन फोटो & गांव के घर का डिजाइन – Village House Designघर का नक्शा बनवायेघर बनाने के लिए अगर सही रणनीति को फॉलो करें तो कम पैसे में अच्छा घर बनाया जा सकता है. नक्शा बनाने के लिए एक आर्किटेक्चर को पकड़े या घर पर खुद ही किसी ऐप या सॉफ्टवेयर के जरिए घर का नक्शा बनाए. नक्शा बनाने के लिए किसी खास योग्यता की जरूरत भी नहीं होती हैं.नक्शा बनाने के लिए परिवार वालों की राय ले.यदि आप वास्तु के अनुसार घर का बनाना चाहते हो तो उसका भी जरूर ध्यान रखें.घर का नक्शा पूरा होने पर किसी कॉन्ट्रैक्ट या आर्किटेक्चर से एक बार विचार-विमर्श जरूर कर ले.घर का नक्शा पूरा होने पर घर निर्माण के लिए किसी अनुभवी ठेकेदार को घर का ठेका दे.कंस्ट्रक्शन सामान खरीदने में समझदारी दिखाएंभवन निर्माण का काम शुरू करने से पहले एक बार ठेकेदार या आर्किटेक्चर से यह पता करें कि घर के निर्माण के लिए सीमेंट, सरिया, ईंटें और मिट्टी कितनी लगेगी.माल की मात्रा का पता चलने पर पर मौका निकाल कर सामान को इकट्ठा खरीद ले. इकट्ठा सामान खरीदने से कुछ प्रतिशत की छूट मिलती है. घर बनाने के लिए सामान खरीदने का यह एक स्मार्ट तरीका है. इसी तरह मार्बल, टाइल और दूसरे हार्डवेयर सामान को भी इकट्ठा ही खरीदें.घर बनाने के लिए सरिये का चयन करेंघर के लिए एक बेहतर क्वालिटी के सरिए का चयन करें. बाजार में ओरिजिनल और डुप्लीकेट दोनों क्वालिटी के सरिये बिकते हैं. इसलिए इनकी अच्छे से जांच पड़ताल कीजिये. घर बनाने के लिए Fe-415 ग्रेड और Fe-500 ग्रेड के सरिए का उपयोग करें.सरिये की खरीददारी के लिए डीलर से बात करें और ओरिजिनल सरिये की पहचान कर ही खरीदारी करें.1 सबसे अच्छा सरिया कौन सा हैघर निर्माण के लिए सीमेंट का चयन करेंसीमेंट को इक्कठा ही खरीदे. इक्कठी सीमेंट खरीदने से काफी पैसे को बचाया जा सकता है. घर के लिए opc 43 ग्रेड की सीमेंट खरीदें. ढलाई और पानी के टैंक के लिए ppc सीमेंट खरीद सकते हैं.सीमेंट की सेल्फ लाइफ लगभग 3 महीने की होती हैं. इसलिए सीमेंट को काम शुरू होने के तुरंत पहले ही खरीदें.2 सबसे अच्छा सीमेंट कौन सा होता है – सेलेक्ट बेस्ट सीमेंटअनुभवी ठेकेदार को चुनेअगर एक अच्छा और व्यवस्थित घर बनाना है तो अनुभवी कांट्रेक्टर को चुनना चाहिए. कई बार मिस्त्रियों की गलती की वजह से दीवारों को तोड़ा जाता है और यह बार-बार कस्टमाइज किया जाता है. जिसमें सीमेंट और रेती का फालतू में खर्चा हो जाता है. अच्छा घर बनाने का तरीका यही हैं कि एक बेहतर ठेकेदार को चुने.गहरी नीवें खुदवाये (घर बनाने का तरीका)घर की जड़े यानी नीवों को मजबूत रखना चाहिए. इसलिए नीवों की खुदवाई गहरी करवाएं. नीवों की अच्छी तरह से भरपाई होने पर नीवों की दीवारों के बीच की मिट्टी को अच्छी तरह भरवा कर पानी डालकर कठोर कर ले, ताकि बाद में दरारे नहीं पड़े.प्लिंथ बीम और कॉलम डलवाएनीवों का काम पूरा होने पर भीम और कॉलम का काम शुरू किया जा सकता है, कॉलम बिठाने के बाद ईटों की जुड़ाई शुरू की जाती है. दरवाजे और खिड़कियों के लिए लिंटेल भीम लगवाए.छत का खास ध्यान रखेकई बार घरों की छतों की सही पकाई नहीं होने पर पानी रिश्ता है इसके लिए फिर वाटर प्रूफ पेंट का अतिरिक्त खर्चा करना पड़ता है. इसलिए छत की पकाई अच्छे से होनी चाहिए. छत की पकाई के लिए मिट्टी के घेरे बनाएं या लकड़ी का बुरादा भरकर अच्छी तरह से पानी भरें.तराई का विशेष ध्यान रखेंएक बार सीमेंट का काम शुरू होने के बाद 16 या 24 घंटे के बाद तराई का काम शुरू किया जा सकता है. तराई 28 दिनों तक करनी चाहिए. सीमेंट 3, 7, 14, 28 दिनों में मजबूती पकड़ती हैं. सीमेंट तीसरे दिन तक 16% और अठाईस वे दिन तक 100% मजबूती पकड़ती हैं.तराई के दौरान सीमेंट को तब तक पानी देना चाहिए, जब तक वह सोखना बंद ना कर दें. इसलिए जल्दबाजी में नहीं करनी चाहिए. अच्छी तराई घर को मजबूत बनाएगा.प्लास्टर का विशेष ध्यान रखेंप्लास्टर करवाते समय ध्यान रखें कि ज्यादा गड्ढे न हो और ना ही ज्यादा लकीरें या दरारे हो. इसके लिए कॉन्ट्रैक्टर से विचार-विमर्श कर ले, अगर ज्यादा दरारें या गड्ढे रह जाए तो बाद में पुट्टी में अतिरिक्त खर्चा आएगा, जो बिल्कुल फिजूल खर्चा होगा.पानी और लाइट फिटिंग का काम शुरू करवाएंपानी की पाइपों की फिटिंग प्लास्टर से पहले की जाती है. बिजली की फिटिंग भी प्लास्टर से पहले की जाती हैं. प्लास्टर के बाहर भी बिजली की फिटिंग की जाती है, लेकिन यह ट्रेंड पुराना हो चुका है. लाइट और पानी की फीटिंग दीवार के अन्दर ही करवाए.टाइले और मार्बल का काम शुरू करवाएंमार्बल किसी डीलर से खरीदने की बजाए डायरेक्ट किसी खदान या खदान के पास डीलर से खरीदें, अगर यह संभव नहीं हो सके तो अलग-अलग डीलर से बात कर प्राइस का तोल कर मार्बल खरीदे.ध्यान रहे कि मार्बल और टाइल फिटिंग के लिए पीपीसी सीमेंट की काम में ले. टाइल्स फिटिंग के लिए 53 ग्रेड की ओपीसी सीमेंट भी काम में ली जा सकती हैं.अंदर बाहर के सभी काम को चेक करें (ghar banane ka tarika)टाइल मार्बल से लेकर घर के बाहर तक सभी काम का निरीक्षण कर ले, कोई काम बाकी रहे तो उसको इसी वक्त पूरा करवा लेना चाहिए.घर का फर्नीचर करवाएघरों का फर्नीचर एक महंगा काम हैं, इसलिए इसको ध्यान से करवाए. घरों के लिए कमर्शियल प्लाईवुड की जगह स्टैंडर्ड प्लाईवुड का इस्तेमाल करें, या waterproof प्लाईवुड का इस्तेमाल करें. प्लाईवुड को होलसेल रेट पर ही ख़रीदे, अन्यथा यह काफी महँगी पड़ सकती हैं.घर को पेंट करवाएघर का कंस्ट्रक्शन काम पूरा होने पर घर की सुंदरता को चार चांद लगाने के लिए घर का पेंट करवाए, घर की अंदर की दीवारों के लिए इंटीरियर पेंट बाहर की दीवारों के लिए एक्सटीरियर पेंट करवाए. पेंट पर थोड़ा अतिरिक्त खर्चा कर अच्छा वाला पेंट करवाए.सस्ता पेंट बार-बार करवाना पड़ता है, इसलिए अच्छा पेंट करवाना चाहिए. अच्छा पेंट कई सालों तक चलता है. कई पेंट कंपनियां इसकी गारंटी भी देती है.3 सबसे अच्छा पेंट कौन सा है (sabse accha paint kaun sa hai) – बेस्ट पेंट कंपनीकम बजट में घर बनाने का तरीका(ghar banane ka tarika)जैसा कि मैंने आपको बताया अपना खुद का घर बनाना सभी का सपना होता है, सभी लोगों की यही चाहत होती है कि एक अच्छा घर बनवाए.लेकिन कई बार बजट को लेकर समझौता करना पड़ सकता है, कम बजट में भी एक अच्छा घर बनाया जा सकता है. इसके लिए केवल और केवल समझदारी से काम लेना होता है. यहां मैं अपनी तरफ से आपको कुछ टिप्स दे रहा हूं जिनको फॉलो करके आप कम बजट में भी अच्छा प्लान बना सकते हैं.ब्रांड के साथ समझौता कर लो लेकिन क्वालिटी के साथ समझौता मत करो. मेरे कहें का मतलब यह हैं कि किसी के कहने में आकर महंगी चीजों या मटेरियल को न ख़रीदे. प्राइस को साइड में रखकर माल की क्वालिटी चेक करो, अच्छा माल खरीदो और जांच परख कर ही खरीदो.कुछ ब्रांड महंगे होते हैं लेकिन कुछ ब्रांड सस्ते होते हैं लेकिन दोनों का फार्मूला और क्वालिटी समान होती हैं, इस बात का ध्यान रख कर ही सामान की खरीददारी करें.सीमेंट, सरिया, ईटों को बड़ी सावधानी और चतुराई से खरीदना चाहिए. पहला इस बात का ध्यान रखें कि सरिया सीमेंट उसी ब्रांड का खरीदें जो अपने राज्य या नजदीकी राज्य में बनता हो. ऐसा करने से ट्रांसपोर्ट का खर्चा और CGST की अतिरिक्त टैक्स में बचत होती हैं. दूसरा इस बात का ध्यान रखे कि अलग-अलग डीलर से भाव टकराकर सरिया खरीदें.कांट्रेक्टर एक अनुभवी होना चाहिए. एक अनुभवी कॉन्ट्रैक्टर के हाथ में काम देने से समय और पैसा दोनों के बचत हो सकती हैं. जब घर बन रहा हो तो पूरी निगरानी रखे, या आर्किटेक्ट को कुछ पैसे देकर किराए पर रख ले. आर्किटेक्ट को किराये पर रखने के 2 फायदे हो सकते हैं, पहला कि वह सभी काम को अच्छे से करवाएगा. दूसरा, यह कि वह मार्केट में सामानों के भाव बिठाने में मदद करेगा.हार्डवेयर के सामान टॉप ब्रांड के न खरीद कर B ब्रांड के ख़रीदे जो अच्छे होने के साथ सस्ते भी होंगे.दरवाजे और खिड़कियों की चौखट के लिए RCC का ही इस्तेमाल करें.कुछ प्रसिद्ध आर्किटेक्ट कहते हैं कि अगर घर का नक्शा वर्गाकार होता है तो निर्माण लागत में कमी आती हैं.टॉयलेट बाथरूम को साथ-साथ में बनवाइए इससे अतिरिक्त दीवार और अतिरिक्त टाइलों का खर्चा बच जाता है.घर की दीवारें 2 तरीके से बनाई जा सकती हैं, पहला बीमा फ्रेम से, और दूसरा लोड बेरियर स्ट्रक्चर जिसमे सरिया कम लगता हैं. लोड बैरियर स्ट्रक्चर से अतिरिक्त लागत को कम किया जा सकता है.परंपरागत इटें कुछ महँगी आती हैं लेकिन सीमेंट से बनी इटें जिसे फ्लाई एश भी कहा जाता है जो थोड़ी सस्ती आती हैं. इस तरह से काफी पैसों को बचाया जा सकता है.एक अच्छा घर बनाने के बारे में आपने क्या सीखा – Ghar Banane Ka Tarika in hindiएक अच्छा, सस्ता, मजबूत और फिक्स बजट में घर बनाने के लिए हमें अपनी तरफ से कुछ जागरूकता रखनी पड़ती है. सही चीजों की सही जानकारी लेनी होती हैं. सही जानकारी और थोड़ी सी मेहनत से काफी पैसे बचाया जा सकता है और अपने वास्तु ड्रीम घर को बनाया जा सकता है. अगर आपको घर बारे में और कोई जानकारी चाहिए तो कमेंट में जरूर लिखें हम आपको बेस्ट solution देने का प्रयास करेंगे.

हिंदुस्तान मेंआलू की खेती कैसे करें, यहां जानें By वनिता कासनियां पंजाब Potato farming: सब्जियों का राजा है आलू। गरीब हो अमीर आलू खाए बिना शायद ही किसी का ऐसा दिन बीता हो। आलू रबी सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है। आलू को अकालनाशक फसल भी कहते हैं।आपको बता दें, उत्पादन के मामले में आलू की फसल की उपज क्षमता दूसरे फसलों से ज्यादा है। भारत में आलू की खेती (aloo ki kheti) सबसे अधिक उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश राज्य में होती है। अधिक उपज के कारण आलू की खेती (Potato farming) किसानों की पहली पसंद है।आलू (Potato) एक ऐसी फसल है जो बढ़ती आबादी को कुपोषण और भूखमरी से बचाने में सहायक है। यह पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी होती है। इसमें 14 प्रतिशत स्टार्च, 2 प्रतिशत शक्कर, 2 प्रतिशत प्रोटीन और 1 प्रतिशत खनिज लवण होता है। 0.1 प्रतिशत वसा और कुछ मात्रा में विटामिन्स भी होता है।आलू की मांग को देखते हुए इसके उत्पादन को बढ़ाने की और अधिक जरूरत है। इसलिए जरूरी है कि आलू की परम्परागत खेती की बजाय आलू की वैज्ञानिक खेती की जाए।तो आइए, द रुरल इंडिया के इस लेख में आलू की खेती कैसे करें (aaloo ki kheti kaise kare) जानें।आलू की खेती के लिए भूमि एवं जलवायुआलू की खेती के लिए समतल और मध्यम ऊंचाई वाले खेत ज्यादा उपयुक्त होते हैं। साथ ही अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी और बलुई दोमट मिट्टी जिसकी पीएच मान 5.5 से 5.7 के बीच हो। आलू की खेती (aaloo ki kheti) के लिए रबी अर्थात् ठंड की मौसम उपयुक्त है। इसके लिए दिन का तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस और रात का तापमान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तक होनी चाहिए। वहीं कंद बनने के समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस ज्यादा नहीं होनी चाहिए। क्योंकि इससे ज्यादा तापमान होने पर कंदों का विकास रूक जाता है।खेती की तैयारी कैसे करेंखेत की तैयारी की बात करें तो मिट्टी के प्रकार के अनुसार खेत को 3-4 जुताई करें।जहां तक संभव हो खेती की पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से और बाद की जुताई देसी हल से करें।प्रत्येक जुताई के बाद पाटा जरूर चलाएं ताकि मिट्टी भुरभूरी और खेत समतल हो जाए। इससे आलू के कंदो के विकास में आसानी होती है।आलू की बुआई का समयआलू की बुआई का समय इसकी किस्म पर भी निर्भर करता है। इसकी अच्छी उपज को लिए सितम्बर से अंतिम सप्ताह से नवंबर से प्रथम सप्ताह तक का समय उपयुक्त माना गया है।बीज का चयन करते समय रखे जाने वाले सावधानियांकिसानों के लिए किस्मों का चयन महत्वपूर्ण है। आलू के बीजों का चयन करते समय निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए।बीज हमेशा किसी विश्वसनीय स्रोत जैसे- सरकारी बीज भंडार, राज्य के कृषि और उद्यान विभाग, राष्ट्रीय बीज निगम, कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्र या क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र से ही खरीदें।इसके अलावा आप खुद के उत्पादित बीज या प्रगतिशील किसान किसान से खरीदा हुआ बीज का प्रयोग करते हैं तो प्रत्येक 3 से 4 साल बाद बीज को जरूर बदल दें। बीज के किस्मों का चयन आप बाजार में मांग एवं जलवायु के अनुसार कर सकते हैं।Potato farming : आलू की खेती कैसे करेंआलू के किस्मों का चयनयदि आप अगेती किस्म लगाना चाहते हैं तो इसके लिए कुफरी पुखराज या कुफरी अशोका का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 80 से 90 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 से 350 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।मध्यम किस्मों के लिए राजेन्द्र आलू-1, राजेंद्र आलू-2 राजेन्द्र आलू-3 और कुफरी कंचन जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। आपको बता दें, ये किस्में 100 से 120 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 200 कुंतल प्रति हेक्टेयर 300 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक होती है।पछेती किस्मों के लिए आप कुफरी सुंदरी, कुफरी अलंकार, कुफरी सफेद, कुफरी चमत्कार, कुफरी देवा और कुफरी किसान जैसी किस्मों का चयन कर सकते हैं। ये किस्में 120 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है। इसकी औसत उपज 250 से 350 कुंतल प्रति हेक्टयर तक होती है।यदि आप आलू से चिप्स बनाना चाहते हैं तो इसके लिए भी विशेष किस्मों का विकास किया गया है। जैसे- कुफरी चिप्ससोना-1, कुफरी चिप्ससोना-2, कुफरी चिप्ससोना-3 और कुफरी आनन्द। ये सभी किस्में 100-110 दिनों में तैयार हो जाती है। जिसका औसत उत्पादन प्रति हेक्टेयर 300 से 350 कुंतल तक हो जाता है।बीजों का चुनाव और तैयारीकिसान भाइयों को बीजों का चुनाव करते समय बीज का आकार पर अवश्य ध्यान देना चाहिए।बीज की गोलाई 2.5 से 4 सेंटीमीटर और वजन 25 से 40 ग्राम होना चाहिए। इससे कम या अधिक भार का बीज आर्थिक दृष्टि से भी उपयुक्त नहीं होती है क्योंकि अधिक बड़े आलू लगाने से किसानों का अधिक खर्च होता है जबकि कम आकार की बीज बोने से उपज में कमी आती है।आलू लगाने से 15 से 30 दिन पहले उसे बोरे से निकाल कर ऐसे कमरे के फर्श पर फैला दें जहाँ धुँधली रोशनी आती हो।ध्यान रखें कि जिस कमरे में आलू का बीज रखा जाए वह हवादार हो, ऐसा करने से बीज का अंकुरण जल्दी होता है। जिससे न सिर्फ पौधों की बढ़वार अच्छी होती है, बल्कि प्रति पौधे तना भी अधिक निकलते हैं।अंकुरित करने के लिए रखे गए बीज को हर दूसरे दिन निरीक्षण करना चाहिए और सड़े-गले आलू को निकाल देना चाहिए।इस बात का भी ध्यान रखें कि जिस बीज के कमजोर और पतले कंद और आँख हो उसे भी निकाल देना चाहिए। ऐसे कंद बीमारी से जल्दी ग्रसित होते हैं।अंकुरित बीज खेत तक ले जाने के लिए सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि इस दौरान कंद की आँखे टूट सकती है।आलू के बीजों का उपचार कैसे करेंआलू को बोने से पहले बीजोपचार जरूरी है क्योंकि इससे फसल में बीमारी का प्रकोप नहीं हो। बीज उपचार करने से उत्पादन क्षमता में भी वृद्धि हो जाती है। बीज उपचार के लिए आलू के कंद को एक ग्राम कॉर्बनडाजिन या मैनकोजिब या कॉर्बोक्सिन दो ग्राम प्रति लीटर की पानी में घोल बना कर बीज को उपचारित करें। इस दौरान इस बात का भी ध्यान रखें कि उपचारित बीज को 24 घंटे के अंदर बुआई कर दें।आलू की बुआई विधिआलू की बुआई अन्य फसलों या सब्जियों की बुआई से एकदम अलग होती है।आलू की बुआई करते समय कतार से कतार और पौधा से पौधा की दूरी और गहराई का भी ख्याल रखें।आलू कम गहराई पर बोने से सूख जाते हैं जबकि अधिक गहराई पर बोने से नमी की अधिकता के कारण बीज सड़ जाते हैं।आलू की बुआई करते समय कतार से कतार 50 से 60 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी रखें।पछेती किस्मों में पौधों का विकास अधिक होती है। अतः इन किस्मों की बुआई 60 से 70 सेंटीमीटर और पौधा से पौधा दूरी 20 से 25 सेंटीमीटर रखा जाता है।अब बात करते हैं आलू की बुआई विधि की जिसमें किसान अपनी सुविधानुसार चुन सकते हैं।आलू की बुआई विधि में सबसे सरल और पहली विधि है समतल भूमि में आलू बोकर मिट्टी चढ़ाना।इस विधि में खेती में 60 सेंटीमीटर पर लाइन बना ली जाती है और इन बनी हुई लाइन पर 5 सेंटीमीटर का गढ्ढा बनाकर आलू के कंद को 15 से 20 सेंटीमीटर की दूरी पर बुआई की जाती है। इसके बाद इसपर मिट्टी चढ़ा दी जाती है।दूसरी विधि है- मेड़ों पर आलू की बुआई करना। इसके लिए सबसे पहले कुदाल या अन्य मशीनों से मेड़ बनाकर उस पर उचित दूरी और गहराई पर आलू की बीज को लगा सकते हैं। यह विधि अधिक नमी वाले जमीन के लिए उचित है।निराई-गुड़ाईआलू की बुआई के 20 से 25 दिन बाद खरपतवारों को हटा दें, इस दौरान आलू पर मिट्टी पर कुछ मिट्टी चढ़ाकर नालियों को व्यवस्थित कर सकते हैं।खाद और उर्वरक प्रबंधनकिसान भाइयों अब बात करते हैं आलू की फसल में खाद एवं पोषण देने की। आपको बता दें, आलू की फसल जमीन की ऊपरी सतह से ही भोजन प्राप्त करती है इसलिए इसे प्रचुर मात्रा में जैविक और रासायनिक खाद की आवश्यकता होती है। इसके लिए इसकी बुआई के से पहले ही 250 से 300 कुंतल सड़ी गोबर की खाद या 40 से 50 कुंतल वर्मी कंपोस्ट खाद प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग कर जुताई करें।इसके अलावा खेत की उर्वरता के अनुसार 120 से 150 किलोग्राम नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस और 100 से 120 किलोग्राम पोटॉश प्रति हेक्टेयर की जरूरत पड़ती है। रासायनिक खाद कभी भी आलू की कंद को सीधे नहीं दी जानी चाहिए अन्यथा कंद सड़ या खराब हो सकती है।सिंचाई प्रबंधनआलू की खेती (Aloo ki kheti) के लिए पानी की आवश्यकता कम होती है। पहली सिंचाई आलू की फसल में 10-20 दिनों के भीतर कर देनी चाहिए। इसके बाद 10-15 दिन के अंतराल में थोड़ी-थोड़ी सिंचाई करते रहने चाहिए। सिंचाई के दौरान इस बात का ख्याल रखें कि मेड़ 2 से 3 इंच से ज्यादा नहीं डूबे।रोग नियंत्रण एवं फसल सुरक्षाआलू की फसल में हानिकारक कीट एवं रोग का भी प्रकोप होता है अतः किसान भाइयों को इसका भी ख्याल रखें।आलू में लगने वाले प्रमुख रोग हैं।-अगेती झुलसा और पछेती झुलसा इससे बचने के लिए इंडोफिल एम-45 या रीडोमिल का 3 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर सकते हैं। कृषि वैज्ञानिकों इस रोग से बचने के लिए प्रत्येक 15 दिन पर इन दवाओं का छिड़काव का भी सलाह देते हैं।यदि कीटों की बात करें आलू की फसल में मुख्य रूप में लाही कीट का प्रकोप देखा गया है। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोरपिड का 1 मिली लीटर प्रति 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़ाकाव करें।आलू की खुदाई/कटाईआलू की फसल में जमीन के अंदर होती है आलू की कटाई की जगह पर किसानों को इसकी खुदाई करनी पड़ती है। अतः किसानों को फसल पकने के 15 दिन पहले ही सिंचाई बंद कर देनी चाहिए और आलू की खुदाई से पहले पत्तियों को 5 से 10 दिन पहले काट देनी चाहिए। इससे आलू की त्वचा मजबूत हो जाती है।आलू की खुदाई के बाद आलू को 3 से 4 दिन के लिए किसी छायेदार जगह पर ही रखें ताकि छिलके और भी मजबूत हो जाएं और आलू में लगी मिट्टी भी सूखकर अगल हो जाए।आलू की भंडारण और मार्केटिंगयदि आप आलू को फसल का सही दाम मिलने पर बेचना चाहते हैं तो इसके लिए आपको भंडारण की आवश्यकता होती है। कुछ समय के लिए आप अपने घर पर ही आलू पतली सतह लगाकर रख सकते हैं, लेकिन ज्यादा समय के लिए भंडारण के लिए आप शीत गोदामों में ही रखें। ताकि समय पर आलू निकासी कर उसे बाजार में बेच सकें।वनिता कासनियां पंजाबइस प्रकार आप आलू की वैज्ञानिक खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

1977 में #डीज़ल_का रेट लगभग 1रु 50 #पैसे था जोकि लगभग 100 गुना बढ़कर 102 रु ओर वही #गेहू का रेट औसतन 80 से 100 #रु #किवंटल था जो कि सिर्फ 19 गुना बढ़ा है बोलो किसान का भला कैसे हो सकता हैंबाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की टीम#संगरिया #किसान #पुत्र

किसान का अनाज सड़को पर पड़ा ह ये सरकार कितनी नक्मी ह देश आज भी भूखा पड़ा ह

1977 में #डीज़ल_का रेट लगभग 1रु 50 #पैसे था जोकि लगभग 100 गुना बढ़कर 102 रु ओर वही #गेहू का रेट औसतन 80 से 100 #रु #किवंटल था जो कि सिर्फ 19 गुना बढ़ा है बोलो किसान का भला कैसे हो सकता हैंबाल वनिता महिला वृद्ध आश्रम की टीम#संगरिया #किसान #पुत्र

A new way of spreading rumours.Central government abolished OBC quotaDue to which there was a loss of 10,000 seats.Now listen to the real math.Total MBBS Seats in India – 83075Total Government MBBS Seats in India - 41388in government seat

कपूर के पौधे के क्या फायदे हैं? By समाजसेवी वनिता कासनियां पंजाब कपूर का पौधा हमारे लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इसकी सुगंध इतनी अच्छी होती है कि इसकी सुगंध से आसपास की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती हैं। कपूर का पौधा अपनी सुगंध से चारों ओर के वातावरण को खुशबूदार बना देता है।कपूर के पौधे को हम अपने घर में,बाहर, कहीं भी किसी भी जगह पर लगा सकते हैं।इसे हम अपने घर में, गमले में,कहीं भी लगा सकते हैं। कपूर का पौधा केवल एक पौधा ही नहीं है अपितु यह हमारे लिए स्वास्थ्य रूपी खजाने का भंडार है।परंतु आज हम जानेंगे कपूर के पौधे के क्या फायदे हैं?कपूर का पौधा लगाने से घर से बीमारियां दूर हो जाती हैं। अगर कोई व्यक्ति कपूर के पौधे के संपर्क में रहता है तो वह हमेशा स्वस्थ रहता है।कपूर का पौधा लगाने से मक्खी, मच्छर ,सांप, छिपकली इत्यादि घर में नहीं आते हैं।सबसे बड़ा फायदा कपूर का पौधा लगाने से जो हमें होता है वह यह है कि यह पर्यावरण को शुद्ध करने में बहुत बड़ी मदद करता है।दोस्तों इस तरह से कपूर का पौधा हमारे लिए बहुत ही लाभकारी है।यह हमें जीवन वायु प्रदान करता है।अगर आप लोगों को यह जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया अपवोट जरूर करें।धन्यवाद

One plant of the world's sweetest fruit earns 12000 rupees at a time, the cost is also very lessBy philanthropist Vnita Kasniya PunjabThis plant starts giving yield after two years. aging of the plant